करगिल की जंग को 23 साल हो चुके हैं। 26 जुलाई को भारत ने पाकिस्तान के कब्जे से अपने सभी प्वाइंट्स वापस ले लिए थे। युद्ध खत्म होने के बाद 26 जुलाई का दिन करगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। आखिर क्यों हुआ था ये युद्ध और कितने दिनों तक चला। आइए जानते हैं।
Kargil Vijay Diwas 2022: करगिल युद्ध को 23 साल हो चुके हैं। 26 जुलाई को भारत ने पाकिस्तान के कब्जे से अपने सभी प्वाइंट्स खाली करा लिए थे। 26 जुलाई को युद्ध खत्म होने के बाद इस दिन को करगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इसे देश के लिए बलिदान देने वाले सैनिकों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। बता दें कि करगिल युद्ध की शुरुआत 3 मई, 1999 को हुई थी। यह युद्ध 14 जुलाई तक चला था। इस जंग में भारत के 562 सैनिकों ने अपना बलिदान दिया, जबकि 3 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक और आतंकियों को मार गिराया। भारत-पाकिस्तान के बीच यह जंग 73 दिनों तक चली, जिसे ‘ऑपरेशन विजय’ के नाम से जाना जाता है।
आखिर क्यों हुई थी करगिल की जंग?
पाकिस्तानी की सेना और आतंकियों ने भारत-पाकिस्तान सीमा (LOC) को पार कर भारत की जमीन पर बंकर बना लिए थे। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जानकारी दिए बिना तब के सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने कारगिल में घुसपैठ करवाई थी। कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर पाकिस्तान के सैनिकों ने कब्जा कर लिया था। इसके बाद भारत के जांबाज फौजियों ने दुश्मन से जंग कर उसके कब्जे से अपनी जमीन छुड़ाई थी।
कितने दिन चला करगिल का युद्ध?
करगिल जंग की शुरुआत तभी से मानी जाती है, जब 3 मई को करगिल के पहाड़ी इलाके में एक चरवाहे ने कुछ हथियारबंद पाकिस्तानी सैनिकों को देखा और इसकी सूचना भारतीय सेना के अफसरों को दी। हालांकि, इसकी ऑफिशियल शुरुआत 5 मई से हुई, जब भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान को जवाब दिया। जानते हैं करगिल युद्ध की पूरी टाइमलाइन।
5 मई 1999 : करगिल के इलाके में घुसपैठ की खबरों के बाद भारतीय सेना के जवानों को वहां भेजा गया। इस पर पाकिस्तानी सैनिकों ने हमला कर दिया, जिसमें भारत के 5 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए।
8 मई 1999 : पाकिस्तानी सैनिक करगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर चुके थे। यहां से वो भारतीय सेना पर लगातार हमला करने लगे। ऊंचाई पर होने की वजह से वो काफी मजबूत स्थिति में थे।
10 मई 1999 : भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ की शुरुआत की। घुसपैठ रोकने के लिए कश्मीर घाटी से बड़ी संख्या में सैनिकों को कारगिल ले जाया गया।
18 मई 1999 : पाकिस्तानी घुसपैठियों के ऊंचाई पर होने की वजह से उन पर निशाना साधना काफी मुश्किल था। दूसरी ओर, वो भारतीय सेना पर लगातार हमले कर रहे थे।
26 मई 1999: भारतीय वायुसेना ने हवाई हमले शुरू किए। इन हवाई हमलों में पाकिस्तानी घुसपैठियों के कई बंकर उड़ा दिए। इसमें दुश्मन के कई सैनिक मारे गए।
1 जून 1999 : पाकिस्तानी सेना ने भारत पर हमले और तेज कर दिए। उन्होंने नेशनल हाइवे 1 को निशाना बनाया। वहीं फ्रांस और अमेरिका ने भारत के खिलाफ युद्ध करने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार बताया।
9 जून 1999 : भारतीय सेना के जवानों ने बहादुरी के साथ लड़ते हुए जम्मू-कश्मीर के बटालिक सेक्टर में दो प्रमुख पोजिशन्स पर घुसपैठियों को मार दोबारा कब्जा किया।
13 जून 1999 : इंडियन आर्मी ने टोलोलिंग चोटी पर घुसपैठियों को मार एक बार फिर से अपना कब्जा कर लिया। इसी बीच, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कारगिल का दौरा किया।
20 जून 1999 : इंडियन आर्मी ने टाइगर हिल के पास कुछ महत्वपूर्ण पोजिशंस से घुसपैठियों को खदेड़ एक बार फिर अपनी जमीन वापस ली।
5 जुलाई 1999: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते करगिल से पाकिस्तानी सेना के वापस लौटने का ऐलान कर दिया।
14 जुलाई 1999 : भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सेना के ‘ऑपरेशन विजय’ के सफलतापूर्वक पूरा होने का ऐलान किया।
26 जुलाई 1999 : इंडियन आर्मी ने पाकिस्तानी सेना के कब्जे वाले सभी इलाकों को अपने हाथ में लेकर वहां तिरंगा फहराया।
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