डॉक्टर बनना हर स्टूडेंट का सपना होता है। इसके लिए लाखों छात्र हर साल नीट का एग्जाम भी देते हैं। लेकिन सभी पास नहीं होते। गुजरात अहमदाबाद के एक शख्स ने 52 की उम्र में नीट एग्जाम पास कया है। लेकिन उन्हें डॉक्टर नहीं बनना है। छात्रों में आत्मविश्वास जगाने के लिए इसे पास किया है।
अहमदाबाद (गुजरात). कहते हैं पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती है। बस कुछ करने का जज्बा और जुनून हो तो इंसान उम्र के आखिरी पड़ाव में भी कामयाबी के झंडे गाड़ सकता है। गुजरात से एक ऐसी ही प्रेरणा देने वाली कहानी सामने आई है, जहां एक शख्स ने 52 साल की उम्र में नीट की परीक्षा पास की है। उनको डॉक्टर नहीं बनना है, उन्होंने सिर्फ अपना शौक और देश के लाखों छात्रों में आत्मविश्वास जगाने के लिए इस एक्जाम को क्रेक किया है। ताकि उनका आत्मविश्वास बना रहे। हालांकि इसके पीछे उनकी एक दिलचस्प वजह भी है...
52 साल की उम्र में भी नीट एग्जाम में 98.98 पर्सेंटाइल अंक हासिल किए
दरअसल, यह होनहार शख्स का नाम प्रदीप कुमार सिंह है जो कि अहमदाबाद के रहने वाले हैं। वह पेशे से एक बिजनेसमैन हैं। हाल ही में जारी हुए नीट रिजल्ट में उन्हें 720 में से 607 अंक प्राप्त हुए हैं। यानी कारोबारी प्रदीप ने इस एग्जाम में 98.98 पर्सेंटाइल अंक हासिल किए हैं। अगर स्टूडेंट इतने नंबर लाता है तो वह आगे चलकर एक डॉक्टर बन जाता है। लेकिन प्रदीप को इतने अच्छे स्कोर करने के बाद भी डॉक्टर नहीं बनना हैं।
डॉक्टर नहीं बनने की वजह है सैल्यूट करने वाली
नीट परीक्षा पास करने के बाद जब मीडिया ने प्रदीप कुमार से पूछा कि आप डॉक्टर क्यों नहीं बनना चाहते तो हो। तो उन्होंने शानदार जवाब देते हुए कहा- में इसलिए मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं लेना चाहता कि वहां में अकेला ही डॉक्टर बनूंगा। लेकिन बाहर रहकर गरीब बच्चों को मुफ्त कोचिंग देकर कई स्टूडेंट को डॉक्टर बनाऊंगा। उन्होंने कहा-मेरा बेटा बिजिन स्नेहांश MBBS के छात्र हैं। साल 2019 में स्नेहांश नें नीट की परीक्षा पास की थी, उसे 595 अंक हासिल हुए थे। जब मेरे बेटे ने नीट की तैयारी शुरू की थी तो मुझे एहसास हुआ कि कोचिंग इंस्टीट्यूट्स कितनी मोटी फीस लेते हैं। आज सोचता हूं कि गरीब बच्चे कैसे इतनी महंगी पढ़ाई कर पाएंगे। इसिलए में इन बच्चों की मदद करना चाहता हूं।
इकोनॉमिक्स से मास्टर्स हैं प्रदीप कुमार
बता दें कि प्रदीप कुमार बचपन से ही पढ़ाई में अच्छे स्टूडेंट रहे हैं। उन्होंने 1987 में 12वीं की परीक्षा 71 फीसदी अंक हासिल किए थे। इसके बाद वह उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बैचलर्स डिग्री प्राप्त की। वहीं दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर्स पूरा किया। वह चाहते तो उन्हें किसी भी विभाग में बड़े पद पर सरकारी नौकरी मिल सकते थी। लेकिन उनका लक्ष्य पढ़कर जॉब हासिल करना नहीं रहा। वह आज अहमदाबाद के एक सफल कारोबारी हैं।