पॉल्यूशन से परेशानी: पंजाब में जलाई गई पराली, दिल्ली में फिर छाया धुंध

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल अक्टूबर के शुरुआती आठ दिनों की तुलना में इस साल पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 60 प्रतिशत, हरियाणा में 48 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 75 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई।

Asianet News Hindi | Published : Oct 13, 2019 2:36 PM IST / Updated: Oct 13 2019, 08:08 PM IST


चंडीगढ़: दिल्ली एनसीआर से सटे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अक्टूबर के पहले सप्ताह में पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल की तुलना में कम होने के बावजूद पिछले चार दिनों में पंजाब में ये घटनाएं बढ़ने से दिल्ली धुंध के घेरे में आ गई है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ कृषि मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल एक से आठ अक्टूबर की तुलना में इस साल दिल्ली के तीनों पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में 58 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पंजाब में 12 अक्टूबर तक पराली जलाने की 630 घटनायें दर्ज की गई हैं। पिछले साल इस अवधि में इनकी संख्या 435 थी।

हवा की क्वालिटी में गिरावट है चिंताजनक

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल अक्टूबर के शुरुआती आठ दिनों की तुलना में इस साल पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 60 प्रतिशत, हरियाणा में 48 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 75 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई। इसके बावजूद दिल्ली में 11 अक्टूबर से हवा की गुणवत्ता में गिरावट ने पर्यावरण संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि नौ अक्टूबर के बाद पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी से हुए इजाफे के कारण को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 245 पर पहुंच गया। उल्लेखनीय है कि शून्य से 50 अंक के बीच सूचकांक को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी का माना जाता है।

पराली के अलावा श्मशान घाट भी है जिम्मेदार 

इस बीच 10 अक्टबूर को नासा की उपग्रह आधारित तस्वीरों के आधार पर पंजाब में आग लगाए जाने वाले 23 स्थानों को चिन्हित किया गया था। पंजाब के कृषि सचिव एस के पन्नू ने स्पष्ट किया कि उपग्रह की तस्वीरों के आधार पर चिन्हित किए गए आग वाले स्थानों में पराली के अलावा श्मशान घाटों और कचरा घरों सहित अन्य सभी प्रकार की आग की घटनायें शामिल होती है। इसलिए उपग्रह तस्वीर में दर्शायी गए आग वाले सभी स्थानों को पराली जलाने की घटनाओं से नहीं जोड़ा जा सकता है।

हम कर रहे हैं कोशिश- अरविंद केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी पिछले चार दिन में दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में तेजी से हुई गिरावट पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘प्रदूषण के मोर्चे पर अब तक की मेहनत से जो कुछ हासिल किया था, वह सब शून्य साबित हो जाएगा।’’ पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी के हवाले से केजरीवाल ने कहा, ‘‘अब दिल्ली के लिए हमें बहुत कुछ करने की जरूरत है और हम इसके लिए भरपूर कोशिश भी कर रहे हैं। लेकिन पराली जलाने से रोकने के लिए अन्य एजेंसियों को भी एकजुट होकर काम करने की जरूरत है।’’

किसानों को पराली कराने का  विकल्प मुहैया कराया जाएगा

पन्नू ने 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक की अवधि को वायु प्रदूषण के लिहाज से बेहद संवेदनशील बताते हुए आने वाले दिनों में स्थिति को नियंत्रित करने का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा कि पंजाब में अक्टूबर के पहले सप्ताह तक फसल अपशिष्ट जलाने की घटनाएं लगभग नगण्य रहीं। उन्होंने बेहतर निगरानी तंत्र के हवाले से दावा किया कि इस साल पराली जलाने की घटनाओं का समग्र आंकड़ा पिछले साल की तुलना में कम रहेगा। गत शुक्रवार को कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने भी दिल्ली एनसीआर के सभी राज्यों में किसानों को पराली जलाने के विकल्प मुहैया कराए जाने और निगरानी तंत्र मजबूत बनाने का हवाला देते हुए आने वाले दिनों में पराली जलाने की घटनाओं में गिरावट आने का दावा किया था।

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कर रही हैं  निगरानी

पर्यावरण मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अक्टूबर में दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में गिरावट के लिए मौसम संबंधी गतिविधियां भी एक वजह होती हैं। इनमें मानसून की वापसी के बाद हवा की गति और तापमान में गिरावट के कारण वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पार्टिकुलेट तत्वों की वायुमंडल में मौजूदगी बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि इसके मद्देनजर मंत्रालय ने दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में पराली जलाने के अलावा वायु प्रदूषण बढ़ाने वाले अन्य कारणों पर सख्त निगरानी तेज कर दी है। इसके लिए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 47 निगरानी दल दिल्ली में और पंजाब सरकार द्वारा तैनात लगभग 6000 कर्मचारी वायु प्रदूषण रोकने के लिए निरंतर निगरानी कर रहे हैं।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

 

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