Manipur Election 2022: मणिपुर विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान, दो चरणों में होगी वोटिंग

मणिपुर में 60 विधानसभा सीटें हैं और 16 जिले हैं। विधानसभा का कार्यकाल 19 मार्च 2022 को समाप्त हो रहा है। राज्य में इस समय NDA गठबंधन की सरकार है और भाजपा के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह हैं। पिछला विधानसभा चुनाव साल 2017 में 2 चरणों में संपन्न हुआ था।

Asianet News Hindi | Published : Jan 8, 2022 8:58 AM IST / Updated: Jan 08 2022, 05:31 PM IST

इंफाल। चुनाव आयोग देश के पांच राज्यों में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में चुनाव शामिल हैं। पांचों स्टेट के इलेक्शन 7 चरणों में होंगे और सभी राज्यों के नतीजे 10 मार्च को आएंगे। मणिपुर में भी विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान हो गया है। मणिपुर में दो चरणों में वोटिंग होगी। पहला चरण 27 फरवरी और दूसरा चरण 3 मार्च को होगा। यहां पिछली बार 2017 में भी एक ही चरण में चुनाव हुए थे।

चुनाव आयुक्त ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 7, मणिपुर में 2, पंजाब-उत्तराखंड और गोवा में 1-1 चरण में मतदान होगा। 10 मार्च को नतीजे आएंगे। यूपी में 7 चरणों में 10 फरवरी से 7 मार्च तक मतदान होगा। पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में 14 फरवरी को मतदान और मणिपुर में 27 फरवरी और 3 मार्च को मतदान होगा।

15 जनवरी तक जनसभाओं पर रोक
चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां डिजिटल, वर्चुअल तरीके से चुनाव प्रचार करें। 15 जनवरी तक किसी तरह की रैली, रोड शो और पदयात्रा नहीं होगी। नुक्कड़ सभा, बाइक रैली पर भी रोक लगाई है। कैंपेन में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी है।  घर-घर जाकर 5 लोगों को प्रचार करने की अनुमति होगी। जीत के बाद विजय जुलूस पर रोक रहेगी। ज्यादा से ज्यादा वर्चुअल सभाएं करने पर जोर दिया है। वर्चुअल रैली के जरिए प्रचार होगा। डोर टू डोर कैंपेन के लिए 5 लोगों की इजाजत होगी। चुनाव में पदयात्रा, साइकिल रैली, बाइक रैली, नुक्कड़ सभा और रोड शो पर रोक लगा दी गई है। इन जनसभाओं पर 15 जनवरी तक रोक लगाई है। रात 8 बजे के बाद चुनाव प्रचार पर भी रोक है। कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन होने पर कड़ी कार्रवाई होगी।

मणिपुर में 60 विधानसभा सीटें हैं और 16 जिले हैं। विधानसभा का कार्यकाल 19 मार्च 2022 को समाप्त हो रहा है। राज्य में इस समय NDA गठबंधन की सरकार है और भाजपा के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह हैं। पिछला विधानसभा चुनाव साल 2017 में 2 चरणों में संपन्न हुआ था। तब कांग्रेस को 28 सीटें, भाजपा को 21, NPF को 4, NPP को 4, LJP को 1, तृणमूल को 1 और निर्दलीय को 1 सीट मिली। चुनाव के बाद भाजपा के नेतृत्व में NDA गठबंधन की सरकार बनी, जिसमें NPF, NPP और LJP सहयोगी भूमिका में आए। विधानसभा में इस समय भाजपा के 28, कांग्रेस के 15, NPP के 4, NPF के 4, तृणमूल का 1 और निर्दलीय एक विधानसभा सदस्य है। 7 विधानसभा सीटें अभी रिक्त हैं। 

मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि कोरोना में चुनाव कराना चुनौतीपूर्ण है। लेकिन कोरोना के बीच चुनाव करना हमारा कर्त्तव्य है। पांचों राज्यों में 18.3 करोड़ मतदाता वोटिंग करेंगे। इनमें 8.55 करोड़ महिलाएं हैं।
पूरी चुनाव प्रक्रिया कोविड प्रोटोकॉल के तहत कराई जाएगी। 5 जनवरी को मतदाता सूची प्रकाशित हो गई। बूथ पर खास व्यवस्थाएं कराई गई हैं। यूपी में 29% मतदाता पहली बार वोटिंग करेंगे। पोलिंग बूथ ग्राउंड फ्लोर पर बनाए जाएंगे। थर्मल स्क्रीनिंग, मास्क और सैनिटाइजर भी व्यवस्था की जाएगी। 2 लाख 15 हजार से ज्यादा पोलिंग बूथ होंगे। हर मतदान केंद्रों पर अधिकतम 1250 वोटर ही होंगे। 16% पोलिंग स्टेशन बढ़ाए गए हैं। इस बार महिला वोटर्स की भागीदारी बढ़ी है। 
 
CEC सुशील चंद्र ने कहा कि पांच राज्यों की 690 विधानसभा सीटों पर मतदान होने वाला है। कोरोना के चलते नए प्रोटोकॉल बनाए गए हैं। हमने इस बार तीन उद्देश्यों पर काम किया है। कोविड फ्री चुनाव, मतदाताओं की सहूलियत और अधिकतम मतदाताओं की भागीदारी। कुल 24.9 लाख मतदाता पहली बार वोट डालेंगे। इनमें से 11.4 लाख लड़कियां पहली बार वोटर बनीं हैं। उम्मीदवार चुनाव में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे। इसके साथ ही पार्टियों को अपने होम पेज पर आपराधिक आरोप वाले उम्मीदवारों की जानकारी देनी होगी। सभी राजनीतिक दलों के लिए ‘सुविधा’ ऐप बनाया गया है। ये चुनाव में धांधली रोकेगा। अवैध शराब और पैसे पर कड़ी नजर रखी जाएगी।

ऑनलाइन नामांकन जमा करने की ऑप्शनल सुविधा
उम्मीदवारों को नामांकन ऑनलाइन जमा करने की ऑप्शनल सुविधा मिलेगी। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों को अखबारों, टीवी चैनलों पर प्रचार अभियान की अवधि के दौरान तीन बार अपने खिलाफ लंबित मुकदमों की जानकारी देनी होगी। राजनीतिक दलों को भी यह बताना होगा कि ऐसी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार को उन्होंने क्यों चुना है? ऐसे उम्मीदवारों की जानकारी know your candidate एप पर भी उपलब्ध होगी। इस चुनाव में हर बूथ पर मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था होगी। चुनावी खर्च सीमा बढ़ाकर 40 लाख की गई है। 900 ऑब्जर्वर नियुक्त किए जाएंगे।

हर विधानसभा में एक मतदान केंद्र महिला स्टाफ संभालेंगी
हर विधानसभा में एक पोलिंग बूथ पूरी तरह से महिलाओं द्वारा संचालित किया जाएगा। ये महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बेहतर होगा। दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर की भी व्यवस्था की जाएगी। साथ ही कोविड संक्रमित व्यक्तियों के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी। वहीं बैटल पेपर के जरिए वोटिंग की व्यवस्था होगी। 690 निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसे 1620 मतदान केंद्र होंगे। 11.04 लाख महिलाएं पहली बार मतदान करेंगी। 

80+ बुजुर्गों और कोविड मरीजों को पोस्टल बैटेल की सुविधा
इस बार 1250 मतदाताओं पर एक बूथ बनाया गया है। 1620 बूथ को महिला पोलिंग कर्मी मैनेज करेंगी। चुनाव आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के अलावा 80 साल से ज्यादा उम्र के नागरिकों, दिव्यांगों और कोविड मरीजों के लिए पोस्टल बैलेट की व्यवस्था की है। 

कोरोना पॉजिटिव घर पर ही डाल सकेगा वोट
सभी बूथ पर पुरुष और महिला सुरक्षाकर्मी तैनात होंगे। कोरोना मरीज या संदिग्ध के घर वीडीओ टीम के साथ चुनाव आयोग की टीम विशेष वैन से जाएगी और वोट डलवा कर आएगी। इन्हें बैलेट पेपर से वोट डालने का अधिकार मिलेगा। संवेदनशील बूथों पर पूरे दिन वीडियोग्राफी होगी। पांचों राज्यों में एक लाख से ज्यादा बूथों पर लाइव वेबकास्ट होगा। ऑब्जर्वर भी ज्यादा संख्या में तैनात होंगे।

बहुमत ना होने के बावजूद सरकार बनाई
बीजेपी ने एक बार फिर से मणिपुर की सत्ता के बचाए रखने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है तो कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए बेताब है। सत्तारूढ़ गठबंधन के पास विधानसभा अध्यक्ष समेत 29 विधायक हैं। गोवा के बाद मणिपुर दूसरा राज्य है जहां सबसे बड़ी पार्टी नहीं होने के बाद भी बीजेपी की सरकार बनी है।

पहले खांटी कांग्रेसी थे एन बीरेन सिंह
सीएम एन बीरेन सिंह विधानसभा चुनाव से एक साल पहले 2016 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे। इसके बाद गठबंधन की सरकार में 12वें मुख्यमंत्री बने। यानी 15 साल बाद गैर कांग्रेसी सरकार बनाई और भाजपा के पहले सीएम बने। बीरेन ने बीजेपी और उसके सहयोगियों के 33 विधायकों के समर्थन से असेंबली का फ्लोर टेस्ट जीतकर दमखम दिखाया। इससे पहले बीरेन सिंह इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री थे, लेकिन उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी से इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी में शामिल हो गए थे। पहले एन बीरेन ने फुटबॉल प्लेयर से करियर शुरू किया। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में शामिल हुए। बाद में इस्तीफा दे दिया और पत्रकारिता की ओर रुख किया।

तीन बार के सीएम इबोबी को निराशा मिली
कांग्रेस में ओकरम इबोबी सिंह सबसे वरिष्ठ नेता हैं। वे लगातार 15 साल तक (2002 से 2017) राज्य के मुख्यमंत्री रहे। राज्य में तीन बार कांग्रेस की सरकार बनाई। 2017 में भी कांग्रेस की सबसे ज्यादा सीटें आईं। मगर, राजनीतिक जोड़-तोड़ में सत्ता हाथ से फिसल गई। इबोबी सिंह पर कई बार हमला करके हत्या की कोशिश की गई। 2017 से मणिपुर विधानसभा में नेता विपक्ष हैं। लगातार 5 बार से विधायक हैं। अब तक 7 बार एमएलए बने।

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