सार
अहमदाबाद के साणंद में एक युवक ने पांच बार ड्राइविंग टेस्ट में असफल होने के बाद छठे प्रयास में अनोखा तरीका अपनाया। ऑटो-रिक्शा का इस्तेमाल कर उन्होंने टेस्ट पास किया। जानें पूरी कहानी।
अहमदाबाद। साणंद के एक 20 वर्षीय युवक ने अपने ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट का 5 बार प्रयास किया और हर बार फेल हो गया। अपनी बार-बार की असफलताओं से परेशान होकर उसने अपने छठे प्रयास में एक अनूठा तरीका अपनाया- जो चर्चा का विषय बन गया है। उसने अपनी कार को छोड़ कर एक ऑटो-रिक्शा में टेस्ट देने का ऑप्शन चुना। सभी को आश्चर्यचकित करते हुए उसने इस बार ड्राइविंग टेस्ट पास कर लिया।
फार्म हाउस के मालिक का बेटा था बार-बार टेस्ट फेल होने वाला युवक
एक रिपोर्ट के अनुसार साणंद में एक फार्महाउस के मालिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले इस युवक को स्थायी लाइट मोटर व्हीकल (LMV) ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने के अपने पिछले सभी 5 प्रयासों में खतरनाक बॉक्स पार्किंग और इनक्लाइन टेस्ट से जूझना पड़ा। जिसकी वजह से वह हर बार फेल हो गया।
पिता की सिफारिश को भी अधिकारियों ने कर दिया था नजर अंदाज
अहमदाबाद जिले में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि युवक के पिता ने अपने बेटे के लिए लाइसेंस बनवाने के लिए अधिकारियों को प्रभावित करने की भी कोशिश की थी। एक RTO अधिकारी ने बताया कि युवक ने स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट में 5 बार असफल होने से पहले 3 बार लर्निंग लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था। उसके पिता ने अधिकारियों को प्रभावित करने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों ने असमर्थता जताई क्योंकि टेस्ट कैमरे में रिकॉर्ड हो गया था।
एक व्यक्ति के सुझाव पर बदला टेस्ट का तरीका
गांधीनगर में तब किसी ने व्यवसायी को सलाह दी कि वह अपने बेटे को ड्राइविंग टेस्ट के लिए कार की बजाए ऑटो-रिक्शा चलाने को कहे। व्यवसाई ने उसकी बात मानते हुए छठवीं बार ड्राइविंग टेस्ट के लिए बेटे को ऑटो रिक्शा चलवाया। जिसमें वह सफल हो गया और आखिरकार अपना LMV लाइसेंस हासिल कर लिया। दिलचस्प बात यह है कि इस तरीके का इस्तेमाल करने वाला ये अकेला युवक नहीं है। हाल ही में एक डॉक्टर ने भी इसी रणनीति का इस्तेमाल करके टेस्ट पास किया था, जिसमें सड़क परिवहन मंत्रालय के नियम का लाभ उठाया गया क्योकि कार, रिक्शा, टैक्सी और यहां तक कि मिनी-बस और मिनी-ट्रक को LMV कैटेगरी में रखा गया है।
लोग LMV के लिए क्यों चुनते हैं ऑटो रिक्श टेस्ट ड्राइव
TOI की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि गांधीनगर के एक RTO अधिकारी ने उल्लेख किया कि रिक्शा में आने वाले लगभग 15 से 20 प्रतिशत लोग पहले टेस्ट में असफल हो चुके हैं। अधिकारी ने बताया कि इस तरीके को अपनाने का ये फायदा होता है कि रिक्शे में आप ड्राइवर की सीट से दोनों तरफ साफ-साफ देख सकते हैं। ड्राइवर को बस यह सुनिश्चित करना होता है कि आगे का पहिया ट्रैक के बीच में पीली रेखा के करीब हो और इनक्लाइन टेस्ट आसान है क्योंकि ड्राइवर को बस हैंडब्रेक को थोड़ा सा खींचकर गति बढ़ानी होती है।
कानूनी रूप से भी माना जाता है सही
अधिकारी ने आगे बताया कि नियम उनके पक्ष में हैं। अगर अधिकारी आपत्ति करते हैं, तो उम्मीदवार तर्क देते हैं कि नियमों के अनुसार रिक्शा LMV वाहन होता है। एक अन्य RTO अधिकारी ने उल्लेख किया कि कार ड्राइविंग टेस्ट में असफल होने के बाद रिक्शा चुनने वाले उम्मीदवारों की पहचान करना मुश्किल है। अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा जो उम्मीदवार अहमदाबाद के सुभाष ब्रिज में मुख्य RTO में अपने टेस्ट में असफल होते हैं, वे अक्सर बावला या वस्त्राल RTO में अगले प्रयास निर्धारित करते हैं। रिक्शा 750 रुपये से 1,000 रुपये के बीच किराए पर आसानी से उपलब्ध हैं,"।