रहस्य बनी 87 वर्षीय बौद्ध भिक्षु की देह, इसी लेटी हुई अवस्था में ली है समाधि

हिमाचल के मंडी जिले में स्थित धर्म स्थली रिवासलर के प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर के प्रमुख लामा(बौद्ध भिक्षु) वांगडोर रिम्पोछे उर्फ ओंगदू के अंतिम संस्कार को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लामा ने 18 सितंबर को देह त्यागी थी।

Asianet News Hindi | Published : Sep 24, 2019 1:40 PM IST

मंडी. रिवालसर स्थित बौद्ध मंदिर के प्रमुख लामा 87 वर्षीय वांगडोर रिम्पोछे उर्फ ओंगदू के अंतिम संस्कार को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लामा ने 18 सितंबर को अपनी देह त्यागी थी। इन 6 दिनों में भी उनका शरीर जैसा का तैसा बना हुआ है। वे यूं लग रहे हैं, मानों गहरी नींद में सो रहे हों। लामा ने जिस अवस्था में अपनी देह त्यागी, उनका शरीर वैसा ही बिस्तर पर पड़ा हुआ है। उनकी समाधि की खबर सुनकर देश-विदेश से बौद्ध अनुयायियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है।

क्या लामा भगवान बन जाएंगे..
उनके अनुयायी लामा की देह उसी अवस्था में रखकर बौद्ध रीति-रिवाज से पूजा-पाठ कर रहे हैं। उनके मुताबिक, जब तक शरीर पर प्रकृति का असर नहीं पड़ेगा, तब तक वे दाह संस्कार नहीं करेंगे। इस बारे में जिगर मूर्ति बौद्ध मंदिर का कामकाज संभालने वालीं अनी बुमछुंग ने कहा कि लामा ने समाधि में हैं। उनकी यह तपस्या कितने दिन की है, इस बारे में कोई नहीं जानता। जब वे इशारा करेंगे, तब दाह संस्कार होगा। बुमछुंग ने कहा कि अब लामा भगवान बन जाएंगे। उल्लेखनीय है कि रिवालसर तीन धर्मों की संगमी स्थली के रूप में विख्यात है। यहां हिंदू, सिक्ख और बौद्ध धर्म के स्थल हैं। लामा की समाधि से हिंदू और सिक्ख धर्म के लोगों में भी दुख की लहर है।


1958 में अपने गुरु को पीठ पर लादकर रिवालसर आए थे लामा
लामा की प्रिय शिष्या लीना अमेरिका से यहां पहुंची हैं। उन्होंने बताया कि लामा रिम्पोछे 1958 में अपने गुरु को पीठ पर लादकर ऊंची-ऊंची पहाड़ियों पर स्थित रिवासलर आए थे। यहां उन्होंने गहन तपस्या की। रिम्पोछे का सपना अपने गुरु पमदसम्भव की यहां भव्य मूर्ति बनवाना था। करोड़ों रुपए के खर्चे पर रिवालसर में यह मूर्ति स्थापित की गई।

Share this article
click me!