Punjab Polls 2022: डेरा सच्चा सौदा का समर्थन मांगने पर फंसे SAD उम्मीदवार हरदेव सिंह, अब ये मांग की जा रही

हरदेव सिंह पिछले सप्ताह डेरा सच्चा सौदा गए थे और अपने लिए डेरे का समर्थन मांगने गए थे। इसकी जानकारी मिलते ही अकाली दल में गहमा-गहमी तेज हो गई थी। जानकारों का कहना है कि अकाली दल सिख राजनीति करता है, डेरा सच्चा सौदा और सिखों में विवाद है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 21, 2022 7:08 AM IST / Updated: Jan 21 2022, 12:49 PM IST

अमृतसर। बल्लुआना विधानसभा सीट से अकाली उम्मीदवार हरदेव सिंह डेरा सच्चा सौदा से समर्थन मांग कर बुरी तरह से फंस गए हैं। पार्टी के अंदर इसका जबरदस्त विरोध हो रहा है। मांग की जा रही है कि हरदेव की उम्मीदवारी को रद्द कर यहां से टिकट किसी और को दिया जाए। हरदेव सिंह को पहली बार इस सीट से अकाली दल ने अपना उम्मीदवार बनाया है। 

हरदेव सिंह पिछले सप्ताह डेरा सच्चा सौदा गए थे और अपने लिए डेरे का समर्थन मांगने गए थे। इसकी जानकारी मिलते ही अकाली दल में गहमा-गहमी तेज हो गई थी। जानकारों का कहना है कि अकाली दल सिख राजनीति करता है, डेरा सच्चा सौदा और सिखों में विवाद है। हरदेव का डेरे का सार्वजनिक तौर पर समर्थन मांगने का असर सिख वोटर्स पर पड़ सकता है। इसलिए उनका टिकट काटने की मांग तेज हो रही है। बताया जा रहा है कि अकाली दल कोर ग्रुप की बैठक में कई नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि हरदेव का टिकट कैंसिल कर किसी दूसरे उम्मीदवार को इस सीट से उतारा जाए, ताकि सिख वोटर्स में कोई गलत मैसेज ना जाए। 

बेअदबी की वजह से डेरा से दूरी बनाए हैं अकाली
बता दें कि डेरा सच्चा सौदा पर बेअदबी के आरोप लगते रहे हैं। सिखों और डेरा प्रेमियों में इस बात को लेकर विवाद भी रहता है। क्योंकि शिरोमणि अकाली दल के लोग शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से भी सीधे जुड़े रहे हैं। इसलिए भी उन्हें डर सता रहा है कि इस मौके पर डेरा के प्रति नरम रुख उनका खेल बिगाड़ सकता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि अकाली दल डेरा से समर्थन लेता नहीं रहा है। लेकिन अकाली सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान जिस तरह से बेअदबी के मामले सामने आए, इसके बाद अकाली दल डेरा से दूर होता चला गया। 

ऐसे चलती है डेरे से राजनीति
अकाली दल डेरा का समर्थन चाहता तो है, लेकिन इस तरह से सार्वजनिक रूप से नहीं। कोशिश यही रहती है कि पर्दे के पीछे से समर्थन मिलता रहे। यूं भी डेरे की ओर से भी जिसे समर्थन दिया जाता है, उसकी घोषणा नहीं होती। बस, मतदान से एक दिन पहले डेरा के समर्थकों को इशारा हो जाता है। इस संदेश को डेरे के समर्थक ही एक-दूसरे तक पहुंचाते हैं। समर्थन देने की डेरे की यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। फिर भी किसी ने किसी स्तर पर यह पता चल ही जाता है कि डेरे ने किसे समर्थन दिया है। डेरा भी तब ना तो इसका खंडन करता, ना ही स्वीकार करता है। 

विवाद से बचने का सिर्फ एक रास्ता
लेकिन अकाली दल के उम्मीदवार ने जिस तरह से डेरा में पहुंच कर समर्थन मांग लिया, इससे पार्टी की मुश्किल फिलहाल थोड़ी बढ़ती नजर आ रही है। इससे बचने के लिए पार्टी के पास एक ही रास्ता है, वह यह है कि वह हरदेव की उम्मीदवार ही रद्द कर दें। अकाली दल की कोर कमेटी की बैठक अभी चल रही है। देखना होगा कि इस बैठक में क्या निर्णय होता है।

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