राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा की इंट्री से पहले आए दिन कुछ न कुछ विवाद सामने आता रहता है। पहले कांग्रेस पार्टी की आंतरिक कलह, फिर गुर्जर की मांग अब प्रदेश के संतों ने यात्रा से पहले भरी हुंकार-सरकार को दे दी चेतावनी जानिए क्या है पूरा मामला।
भरतपुर ( bharatpur). राजस्थान में साधु संतों के लिए ये साल जितना बुरा रहा है शायद ही इससे पहले इतने बुरे हालात बने हों। जमीनों के चक्कर में इस साल कई साधु संतों ने अपनी जान गंवा दी। साल जाते जाते फिर से बड़ी परेशानी की खबर भरतपुर से आ रही है। भरतपुर में पहले भी बवाल हो चुका है और अब भारत जोड़ो यात्रा के दौरान फिर से बड़े बवाल की चेतावनी संतो ने दे दी है। नौ दिसम्बर को सरकार को तैयार रहने के लिए कहा है। उनका कहना है कि नौ दिसम्बर को कोई अनहोनी होती है तो इसकी जिम्मेदार सरकार होगी।
इस तरह समझा जा सकता है पूरा विवाद
दरअसल भरतपुर में आदिबद्री पर्वत और कनकाचंल पर्वत के बड़े हिस्से पर अवैध खनन के आरोप लगते रहे हैं सरकार पर। इन दोनो पर्वतों को पवित्र मानकर भरतपुर के साधु संत इसकी पूजा करते हैं। इनमें अवैध खनन बंद कराने को लेकर इस साल एक संत आत्मदाह कर चुके हैं। उनके आत्मदाह के बाद सरकार चेती भी थी और जल्द ही पूरे मामले को गंभीरता से लेने की बात कही थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कुछ दिन तो सरकार ने सब सही करने को कहा लेकिन बाद मे भरतपुर में रहने वाले मंत्री विश्वेन्द्र सिंह साधुओं को धमकाने लगे कि वैध लीज को नहीं हटाया जाएगा, चाहे कुछ भी हो। प्रशासनिक अधिकारी भी साधु संतों को अब समय देने से कतरा रहे हैं।
मंदिर में बैठकर अगले महीने के लिए बनी रणनीति
इन सभी बातों को लेकर मंगलवार शाम साधु संतों ने मान मंदिर में आगामी महीने का कार्यकम बनाया है। साधु संतों का कहना है कि एक दिसम्बर से लेकर सात दिसम्बर तक भागवत कथा का आयोजन करने की तैयारी कर ली है। उसके बाद नौ दिसम्बर को पर्वतों के नजदीक महापड़ाव की तैयारी कर ली गई है। इसे लेकर सरकार को प्रशासनिक अफसरों के जरिए सूचनाएं भिजवा दी गई है। इस पूरे मामले में फिलहाल सरकार की ओर से कोई पक्ष नहीं रखा गया है।
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