बेणेश्वर धाम क्यों है खास, जिसमें कांग्रेस करा रही 132 करोड़ के पुल का निर्माण, जानें इसके बारे में सब कुछ

बेणेश्वर धाम, जहां भगवान विष्णु और शिव के चरण छूकर गुजरती हैं एक साथ तीन नदियां। यहां पर कांग्रेस 132 करोड़ रुपए का पुल बनाने जा रही है। आदिवासी समाज का सबसे बड़ा मेला यही भरता है। इन्ही को साधने का प्रायस। 

डूंगरपुर.जिले से 38 किलोमीटर दूरी पर स्थित बेणेश्वर धाम आज चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि यहां आज 132 करोड़ रुपए के लागत से बनने वाले पुल की आधारशिला कांग्रेस के द्वारा रखी गई है। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अशोक गहलोत समेत कई बड़ी हस्तियां यहां मौजूद हैं। आदिवासियों का कुंभ कहे जाने वाले इस धाम के बारे में आपने ज्यादा कुछ नहीं सुना होगा। हम आपको बताते हैं कि बेणेश्वर धाम राजस्थान में क्यों खास है और क्यों इसे राजस्थान का आईलैंड कहा जाता है। देश विदेश से इस आईलैंड को देखने के लिए लोग आते हैं। वैसे तो साल के आठ से दस महीने यहां गाड़ी और अन्य साधनों से जाया जाता है। लेकिन जब बारिश होती है तो यहां जाने के लिए नावें करनी पड़ती हैं। 

बेणेश्वर धाम का इतिहास कुछ इस तरह है, आदिवासियों का सबसे बड़ा मेला लगता है यहां
आदिवासियों का कुम्भ कहे जाने वाला बेणेश्वर मेला राजस्थान के डूंगरपुर में लगता हैं। बेणेश्वर देश में आदिवासियों के बड़े मेलों में से एक हैं । राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा गुजरात राज्यों से बड़ी संख्या में भील व आदिवासी समुदाय के लोग आते हैं।  आदिवासियों के मुख्य संत मावजी हैं जिन्हें इस दिन विशेष रूप से याद किया जाता हैं। अंग्रेजी महीनों के अनुसार हर साल फरवरी में इस मेले का आयोजन किया जाता रहा है। मेले के दौरान सवेरे पांच बजे से रात 11 बजे तक मंदिर खुला रहता है। कई बार में आरतियां की जाती हैं और महादेव का अभिषेक होता है। भक्त गेहूं का आटा, दाल, चावल,  गुड़, घी, नमक, मिर्च, नारियल और रुपए चढ़ाते हैं। मेले के अलावा सालभर एकादशी,  पूर्णिमा,  अमावस्या, संक्रांतियों और कई पर्व व त्यौहारों पर बेणेश्वर के पवित्र संगम तीर्थ में स्नान का यह रिवाज कई सदियों से चला आ रहा है। लेकिन माघ माह में बेणेश्वर धाम की स्नान परंपरा का विशेष महत्व रहा है। 

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विष्णु और शिव के चरणों से होकर गुजरती हैं तीन नदियां

धाम में शिव और विष्णु भगवान का स्थान हैं जहां पूजा पाठ होती है। इस जगह की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां पर जाखम, सोम और माही नदी शिव और विष्णु के चरणों को छूती हुई निकलती हैं। तीनों में सबसे बड़ी माही नहीं जो गुजरात के अरब सागर में जाकर गिरती है। इन नदियों के संगम को देखने के लिए ही लाखों लोग हर साल यहां आते हैं। 

आखिर आईलैंड क्यों कहा जाता है बेणेश्वर को
बारिश के दौरान इस धाम को देखने के लिए देश विदेश से लोग आते हैं। दरअसल बारिश के दौरान बेणेश्वर धाम के आसपास के क्षेत्र में खेतों और सड़कों पर पानी भर जाता है। और यह धाम एक पानी में टापू के जैसा दिखाई देता है। यहां जाने की जो एक मात्र सड़क है वह भी पानी में डूब जाती है और इस दौरान बेणेश्वर जाने के लिए नावों का सहारा लेना पड़ता है। भारी बारिश के दौरान अक्सर धाम पर लोग फंस जाते हैं और उनको नावों से निकालने में दिक्कत आती है तो ऐसे में हैलीकॉप्टर की मदद से उनको रेस्क्यू किया जाता है।

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