राजस्थान में गैंगवार को लेकर हुआ बड़ा खुलासाः इस कारण से युवा बनते हैं गैंगस्टर, फिर बेमौत मरते हैं

राजस्थान में गैंगवार को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। यहां शराब कारोबार के जरिए गैंगस्टर बनते हैं युवा। इनको पहले पॉलिटिकल सपोर्ट मिलता है फिर बेमौत ही मरते हैं। सारा खेल सिर्फ इस कारोबार की कुर्सी को लेकर होता है।

Sanjay Chaturvedi | Published : Dec 10, 2022 5:15 AM IST / Updated: Dec 10 2022, 01:37 PM IST

जयपुर (jaipur). राजस्थान में पिछले 25 सालों से गैंगवार फैला हुआ है। जिसमें अब तक करीब दो दर्जन से ज्यादा मौतें भी हो चुकी है। हालांकि सभी मौतें आपसी रंजिश के चलते ही हुई है। लेकिन राजस्थान में हुई इन सभी मौतों का कारण एक ही है। और वह है शराब कारोबार। क्योंकि राजस्थान में सभी गैंगस्टर में अपने जीवन की शुरुआत इन्हीं शराब के कुर्सी से की है। फिर चाहे वह विजय पाल हत्याकांड, गोपाल फोगावत हत्याकांड, जीवन राम गोदारा हत्याकांड, बलवीर बानूड़ा हत्याकांड और राजू ठेहट हत्याकांड क्यों ना हो। इन सभी की इस खौफनाक मौत का एक ही कारण है वह है शराब कारोबार।

युवाओं को मंझे बदमाश शराब करोबार में लगाते, मिलता है राजनीतिक सपोर्ट
दरअसल सबसे पहले युवाओं को मोटे बदमाश शराब तस्करी के कामों में लगा देते हैं। इसके बाद इन्हें पॉलिटिकल सपोर्ट भी मिलता है क्योंकि शराब कारोबार ज्यादातर नेताओं का ही होता है। थोड़े से काम के लिए ज्यादा प्रॉफिट मिलने पर युवा इसमें पूरी तरह से लिप्त हो जाते हैं। और पॉलिटिकल सपोर्ट होने के कारण उन्हें पकड़े जाने का डर नहीं होता है। राजू ठेहट हत्याकांड की शुरुआत भी यहीं से होती है। जब राजू ठेहट और बलवीर बानूड़ा ने एक साथ शराब ठेका खोला। लेकिन जब बलवीर के साले विजयपाल ने हिसाब की बात को लेकर कोई दिक्कत की तो राजू ठेहट ने उसे गोलियों से भून दिया था।

शेखावटी है शराब तस्करी का मुख्य अड्डा
पुलिस सूत्रों की माने तो राजस्थान में शराब तस्करी का मुख्य गढ़ शेखावाटी माना जाता है। क्योंकि यहां हरियाणा के रास्ते शराब लाई जाती है और फिर यहीं से उसे पैककर या फिर अन्य किसी चीज में छुपाकर गुजरात जैसे राज्य में भेज दिया जाता है। शेखावाटी में तो कई नेता ऐसे हैं। जो शुरू में ट्रक की ड्राइवरी करने का काम करते थे। लेकिन जब वह शराब तस्करी से जुड़े तो आज वह करोड़ों के मालिक बन चुके हैं इतना ही नही राजस्थान में उनकी कई कॉलेज भी चलती है। अब ऐसे में एक ही चीज जरूरी है कि युवक खुद समझे कि उन्हें इस बेमौत मरने वाली जिंदगी चुन्नी है या फिर एक साधारण जीवन।

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