जोधपुर गैस ब्लास्ट में अब तक 7 लोगों की मौत, जान दांव पर लगाने वाले कॉन्स्टेबल को प्रमोशन, CM ने खोली तिजोरी

राजस्थान के जोधपुर जिले में हुए गैस ब्लास्ट में जान गंवाने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। सीएम ने आज मुलाकात करने के बाद सहायता के लिए खोल दी राहत तिजोरी। मुख्यमंत्री गहलोत ने मृतक के परिजन को 7 लाख रुपए और घायलों को 1 लाख रुपए की आर्थिक मदद की।

Sanjay Chaturvedi | Published : Dec 9, 2022 1:37 PM IST

जोधपुर ( jodhpur). राजस्थान के जोधपुर जिले में हुआ हादसा चौंकाने वाला है। इस हादसे को बीते 24 घंटे से ज्यादा समय हो गया है लेकिन मौतों का आंकड़ा थमता नजर नहीं आ रहा है। जोधपुर के शेरगढ़ थाना इलाके के भूंगरा गांव में हुए सिलेंडर धमाकों में अब तक 7 लोगों की जान जा चुकी है। दूल्हे के पिता और दूल्हा बुरी तरह झुलसी हालत में अस्पताल में भर्ती हैं।

नहीं थम रहा मौत का सिलसिला
दूल्हे के दो ताऊ अपनी जान गवां चुके हैं। दूल्हे की बहन के 4 और 2 साल के दो बच्चे अपनी जान गवा चुके हैं। वहीं परिवार की तीन अन्य महिलाओं की भी जलने से मौत हो चुकी है। वर्तमान में परिवार और आसपास के करीब 40 से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती हैं। जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में सभी का इलाज जारी है। इनमें से करीब 20 लोग 50% से ज्यादा झुलसी हालत में है और उन सभी की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है। 

सीएम गहलोत ने पीड़ितो से की मुलाकात
 इस पूरे घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज जोधपुर पहुंचे और उन्होंने मृतक परिवार के सदस्यों को मुआवजा देने की घोषणा की।  सभी मृतक के परिजनों को 7 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई।  साथ ही जो लोग अस्पताल में भर्ती हैं उनमें से प्रत्येक को 1 लाख रुपए सीएम रिलीफ फंड से देने की घोषणा की गई। उल्लेखनीय है कि भूंगरा गांव में रहने वाले सगत सिंह के बेटे सुरेंद्र सिंह की कल शादी थी । शादी में जाने के लिए बरात तैयार हो रही थी । इसी दौरान घर में सिलेंडरों में धमाके हो गए । घर का एक हिस्सा टूट कर बिखर गया और तब से लेकर अब तक 7 लोगों की जान चली गई।  घायलों और मृतकों में परिवार के सदस्यों के साथ ही आसपास रहने वाले लोग भी शामिल हैं। 

जान दांव पर लगाने वाले पुलिसकर्मी को मिलेगा प्रमोशन
इस हादसे के बाद मौके पर पहुंचे एक पुलिसकर्मी ने अपनी जान दांव पर लगाई तो आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उसे गैलंट्री देने की सिफारिश कर दी।  दरअसल शेरगढ़ थाने का कॉन्स्टेबल डूंगर सिंह ने जलते हुए सिलेंडर को उठाकर घर के बाहर फेंक दिया था।  इस कारण उसका हाथ भी झुलस गया था।  लेकिन उसने झुलसे हुए हाथ की परवाह किए बिना सिलेंडर फेंकने के अलावा कई झुलसे लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने में मदद भी की थी।  कॉन्स्टेबल डूंगर सिंह ने 2013 में नौकरी शुरू की थी और वह करीब ढाई साल से शेरगढ़ थाने में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात है ।

इस हादसे में अब तक दो बच्चों, 3 महिलाओं समेत सगत सिंह के भाई नरपत सिंह और हमीर सिंह की मौत हो चुकी है। नरपत सिंह का परिवार देवी माता के दर्शन के लिए गया हुआ था, इसलिए वह बच गया। पुलिस ने बताया कि सगत सिंह नरपत सिंह और हमीर सिंह तीनों एक ही कुटुंब में रहते थे और एक साथ खेती-बाड़ी करते थे।

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