राजस्थान में जारी गुर्जर आरक्षण आंदोलन ने लॉ-एंड की स्थिति चिंताजनक कर दी है। सरकार से बात नहीं बनने पर आंदोलनकारी भरतपुर में दिल्ली-मुंबई रेल ट्रैक पर जम गए हैं। बता दें कि गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी बैंसला ने 1 नवंबर से राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की थी। हालांकि सरकार ने अपने स्तर पर बातचीत की पहल की थी, लेकिन बात नहीं बनी।
जयपुर, राजस्थान. अपने लिए 5 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन पर उतरे गुर्जरों ने एक बार फिर सरकार के लिए लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति चिंताजनक कर दी है। आंदोलनकारी भरतपुर में दिल्ली-मुंबई रेल ट्रैक पर जम गए हैं। बता दें कि गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी बैंसला ने 1 नवंबर से राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की थी। हालांकि सरकार ने अपने स्तर पर बातचीत की पहल की थी, लेकिन बात नहीं बनी।
ट्रेनों के रूट बदले...
आंदोलनकारी पटरियों पर लेटे हैं। इससे दिल्ली और मुंबई के बीच चलने वालीं 16 ट्रेनों के रूट बदल दिए गए हैं। कई ट्रेनों को झांसी-बीना-नागदा रूट से चलाया जा रहा है। बता दें कि शनिवार को आंदोलनकारियों के एक गुट और सरकार के बीच बातचीत हुई थी। इसमें दोनों पक्षों में 14 बिंदुओं पर सहमति बनी थी। इसमें कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला शामिल नहीं हुए थे। ऐसा लग रहा था कि इसके बाद आंदोलन की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बता दें कि 2007 में इस आंदोलन के हिंसक होने पर 26 लोग, जबकि 2008 में 37 लोगों की मौत हो गई थी।
विधानसभा में हंगामे के आसार...
सोमवार को होने जा रहे विधानसभा के विशेष सत्र में केंद्रीय कृषि कानूनों में संशोधन के अलावा गुर्जर आंदोलन की गूंज सुनाई देगी।
यहां सबसे ज्यादा खतरा
राजस्थान में करौली, भरतपुर, सवाई माधोपुर, दौसा, धौलपुर जिलों के अलावा भीलवाड़ा का आसींद और सीकर का नीम का थाना तथा झुंझुनूं के खेतड़ी इलाके गुर्जर बाहुल्य हैं। यहां आंदोलनकारी दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक और सड़क जाम कर रहे हैं। रविवार को गुर्जर आंदोलनकारियों के भरतपुर के पीलूपुरा में पड़ाव डालने की सूचना के बाद प्रशासन सतर्क हो गया था। गुर्जर बाहुल्य 4 जिलों दौसा, करौली, सवाई माधोपुर और भरतपुर में अगले आदेश तक इंटरनेट बंद कर दिया गया है। किसी भी स्थिति से निपटने अलग-अलग फोर्स की 19 कंपनियां अलग-अलग जिलों में भेजी गई हैं। बता दें कि बैंसला करौली जिले के हिंडौन सिटी स्थित अपने निवास पर शुक्रवार को मीडिया के जरिये सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो 1 नवंबर से प्रदेशभर में चक्काजाम होगा।