कानून-व्यवस्था देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने दोनों जिलों के सभी कर्मचारियों-अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। वहीं राज्य सरकार ने 23 आरएएस अधिकारियों की अलग-अलग जिलों में तैनाती की है। गुर्जर नेताओं ने अभी तक अपनी रणनीति का खुलासा नहीं किया है। जिसको देखते हुए गहलोत सरकार ने अपनी सारी अपनी खुफिया एजेंसियों को अलर्ट कर दिया है।
भरतपुर. राजस्थान में गुर्जर आंदोलन (Gujjar Reservation Movement) ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। गुर्जर किसानों ने प्रदेश सरकार को एमबीसी को बैकलॉग व प्रक्रियाधीन भर्तियों में 5 प्रतिशत आरक्षण सहित 6 सूत्रीय मांगों को लेकर चेतावनी देते हुए 1 नवंबर से आंदोलन करने का ऐलान किया। वहीं गुरुवार रात से ही भरतपुर और करौली जिले में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। प्रशासन इनकी हर गतिविधि पर नजर रखे हुए है और जगह-जगह पुलिस बल तैनात कर दिया गया। वहींआंदोलन के लिए गुर्जर नेता रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। जिससे गहलोत सरकार की हार्ट बीट बढ़ गई है।
गहलोत सरकार सारी खुफिया एजेंसियों को किया अलर्ट
कानून-व्यवस्था देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने दोनों जिलों के सभी कर्मचारियों-अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। वहीं राज्य सरकार ने 23 आरएएस अधिकारियों की अलग-अलग जिलों में तैनाती की है। गुर्जर नेताओं ने अभी तक अपनी रणनीति का खुलासा नहीं किया है। जिसको देखते हुए गहलोत सरकार ने अपनी सारी अपनी खुफिया एजेंसियों को अलर्ट कर दिया है। बता दें कि 1 नवंबर को नगर निगम चुनावों के दूसरे चरण के तहत वोटिंग भी होनी है।
(आंदोलन के लिए गुर्जर नेता रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं।
सरकार के आमंत्रण को गुर्जरों ने ठुकराया
बता दें कि गुर्जरों ने अब सरकार का वार्ता प्रस्ताव ठुकरा दिया है और आंदोलन की राह थाम ली है। करौली जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने गुरुवार को गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के किरोड़ी सिंह बैंसला एवं विजय बैंसला सहित अन्य सदस्यों से मिलकर उन्हें राज्य सराकार द्वारा निर्धारित की गई समझौता वार्ता में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन समिति ने जाने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी वह आंदोलन करते रहेंगे।
ये हैं राजस्थान के गुर्जरों की मांगें...
1. राजस्थान के गुर्जर चाहते हैं कि बैकलॉग की भर्तियां निकालनी जाएं और उन भर्ती में गुर्जरों को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।
2.एमबीसी कोटे से भर्ती हुए 1200 कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
3.आरक्षण को केन्द्र की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
4. आंदोलन के सभी शहीदों के परिजन को सरकार के वादे के मुताबिक नौकरी, मुआवजा दी जाए।
5. आंदोलन के दौरान दर्ज सभी मुकदमों को वापस लिया जाए।