पंजाब में बंपर जीत के बाद आम आदमी पार्टी अब दो राज्यों का सत्ता संभाल रही है। राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल अब कुछ और राज्यों में जीत के साथ पार्टी का दायरा बढ़ाना चाहते हैं। यही कारण है कि चुनावी राज्यों के लिए उन्होंने रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
जयपुर : पंजाब (Punjab) में धमाकेदार जीत के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) दोगुने उत्साह से लबरेज है। पार्टी संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) अब देशभर में पार्टी का फैलाव करने का प्लान बना रहे हैं। इसकी शुरुआत वे आगामी विधानसभा चुनावों से करने जा रहे हैं। पार्टी की नजर आने वाले कई राज्यों के चुनाव पर है। इन्हीं में एक राज्य है राजस्थान (Rajasthan), जहां अगले साल असेंबली इलेक्शन होने जा रहे हैं। इससे पहले आप गेम प्लान बनाने में जुट गई है।
दिग्गज सधेंगे तो बन जाएगी बात
केजरीवाल की पार्टी राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्रीय इलाकों में वर्चस्व रखने वाले नेताओं को अपने पाले में जाने की जुगत में लग गी है। इसकी जिम्मेदारी राजस्थान यूनिट से जुड़े और राष्ट्रीय स्तर के कई नेताओं को दी गई है। ये नेता दिग्गज नेताओं और अपने इलाके में एक क्षत्र राज करने वालों से संपर्क साधेंगे और उन्हें आप से जोड़ेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य के ऐसे नेताओं से संपर्क किया जा रहा है जो जमीनी स्तर पर जनता के बीच अच्छी पैठ रखते हैं। पार्टी का मानना है कि इससे प्रदेश में उसका संगठन मजबूत होगा और पावर मिलने का चांसेस भी बढ़ जाएंगे।
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विजय उत्सव से आगाज
राजस्थान में सियासी जमीन तलाश रही आप 26-27 मार्च को विजय उत्सव सम्मेलन का आयोजन करने जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इसी कार्यक्रम से पार्टी अपने मिशन की शुरुआत कर देगी। विजय उत्सव के दौरान ही कई नेता आम आदमी पार्टी का दामन थाम लेंगे। इसमें जाट बेल्ट में मजबूत पकड़ रखने वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संस्थापक हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) का नाम सबसे आगे है।
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2018 को पीछे छोड़ अब जीत पर नजर
राजस्थान के पिछले चुनाव में जिस तरह से आम आदमी पार्टी को मुंह की खानी पड़ी थी, पार्टी उससे आगे निकलकर अपना पांव मजबूत करना चाहती है। पार्टी नेताओं का कहना है कि तब की और आज की स्थिति में जमीन आसमान का फर्क है। अब आप जिस भी राज्य में जाएगी, उसे जीत ही मिलेगी। बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में आप ने राजस्थान की 200 में से 142 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। उसे एक भी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई थी। उसे सिर्फ 0.4 प्रतिशत वोट ही मिले थे।
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