अशोक गहलोत के तेवर ढीले...सोनिया गांधी ने सचिन पायलट को अर्जेंट बुलाया...जानिए क्या है दिल्ली टूर का राज

Published : Sep 27, 2022, 02:50 PM ISTUpdated : Sep 27, 2022, 02:53 PM IST
  अशोक गहलोत के तेवर ढीले...सोनिया गांधी ने सचिन पायलट को अर्जेंट बुलाया...जानिए क्या है दिल्ली टूर का राज

सार

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के रवैये से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी नाराज़ हैं। इसी बीच बड़ी खबर सामने आई है कि पार्टी हाईकमान सोनिया गांधी ने बातचीत के लिए सचिन पायलट दिल्ली बुलाया है। मीडिया में खबरें आने लगी हैं कि पायलट को बड़ी खुशखबरी मिलने वाली है।  

जयपुर. राजस्थान में बीते 2 दिनों से चल रहे सियासी तमाशे के बीच अब शांत बैठे पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने खुद को मुख्यमंत्री बनाने के लिए आलाकमान से पैरवी की है। पायलट ने आलाकमान से कहा कि गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है तो सीएम पद छोड़ना होगा। गौरतलब है कि राजस्थान में हुए सियासी तमाशे के बाद सचिन पायलट और अशोक गहलोत को पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया था। जिसके बाद फोन पर सोनिया गांधी से बातचीत के बाद अब पायलट दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं।

बात नहीं बनी तो बगावत कर सकते हैं पायलट
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फोन पर सोनिया गांधी ने सचिन पायलट से करीब 15 मिनट तक बातचीत की। जिसके अंत में सचिन पायलट ने कहा कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत अगर पार्टी अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं तो उन्हें सीएम नहीं रहना चाहिए और विधायकों को साथ लाना उनकी जिम्मेदारी है। ऐसे में साफ माना जा सकता है कि सचिन पायलट के सीएम के अलावा अन्य किसी पद पर आने को तैयार नहीं है। अब यदि ऐसा नहीं होता है तो पायलट बगावत भी कर सकते हैं।

अब अशोक गहलोत को भी करना होगा पायलट का समर्थन
पायलट के बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में सरगर्मियां तेज हो चुकी है। देर शाम तक एक बार फिर गहलोत गुट के विधायक इसका विरोध कर सकते हैं। हालांकि अभी तक आलाकमान ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। लेकिन यदि आलाकमान सचिन पायलट की बात को स्वीकार करता है तो राजस्थान में इसका विधायक जमकर विरोध करेंगे। वही यदि आलाकमान सचिन पायलट को सीएम बनाते हैं तो गहलोत को भी इस बात का समर्थन करना होगा। 

सीएम पायलट हो लेकिन चलेगी गहलोत की
भले ही आलाकमान सचिन पायलट को सीएम का पद दे दे। लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पायलट का कंट्रोल अशोक गहलोत के हाथ में ही रहेगा। वही सरकार के मुखिया होने के बाद भी पायलट का उनके मंत्री ही विरोध करेंगे। ऐसे में पायलट का 1 साल का शासन विरोध के बीच ही निकल जाएगा।


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