
जयपुर. सबसे बड़ा सवाल है कि राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के पास अब क्या संभावना हैं कि वह सरकार बना सकती है...? इन्हीं संभावनाओं के बीच आज पूर्व सीएम वसुंधरा राजे जयपुर पहुंची हैं, उन्होनें पहले गोविंद देव जी के दरबार में ढोक लगाई और उसके बाद पार्टी के नेताओं से मुलाकात के लिए निकल गईं। अचानक जयपुर आना कुछ बडा होने का संकेत है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ आज दोपहर के बाद मुलाकात करने का शेड्यूल बन रहा है।
ये संभावनाएं हैं पूर्व सीएम राजे के पास, यानि भाजपा के पास
राजस्थान में वर्तमान में 200 विधायक हैं। उनमें से सरकार बनाने के लिए 101 साथ होने चाहिए। कांग्रेस के पास 108 हैं। बताया जा रहा है कि 80 ने इस्तीफे दे दिए, हांलाकि वे मंजूरी के लिए पेंडिग हैं। ऐसे में अगर ये 80 इस्तीफे मंजूर हो जाते हैं तो फिर 120 एमएलए बचते हैं। इन 120 एमएलए में से सरकार बनाने के लिए भाजपा को चाहिए सिर्फ 101 विधायक। उनके पास 71 खुद के एमएलए हैं। अगर बाकि बचे हुए एमएलए को सचिन पायलेट तोड़ लाते हैं तो फिर सरकार बनाने के लिए गहलोत की जरुरत नहीं पडेगी। ऐसे में भाजपा जोड़ तोड़ कर सरकार बना सकती है। यह सब पहले भी साल 2020 में हो चुका है। उसी समय भी इसी तरह माहौल खराब हो चुका है। हांलाकि पायलेट गुट उस सयम भी गहलोत गुट मे सेंध नहीं लगा सका था। उस सयम सचिन पायलेट कई दिग्गज बीजेपी नेताओं के संपर्क में थे।
किस पार्टी के कितने एमएलए हैं राजस्थान में... जितने कम.. उतना ज्यादा महत्वपूर्ण रोल
अब बात करते हैं प्रदेश के दो सौ एमएल की। वर्तमान में सबसे ज्यादा 108 विधायक कांग्रेस के पास हैं। इसके बाद भाजपा के पास 71 विधायक हैं। इसके बाद 13 विधायक निर्दलीय हैं। इनमें से अधिकतर का समर्थन कांग्रेस के पास है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी यानि रालोपा के पास 3 एमएलए हैं। वहीं भारतीय ट्राइबल पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानि माकपा के पास 2-2 विधायक हैं। राष्ट्रीय लोकदल के पास 1 विधायक है। जब भी सरकारों पर इस तरह का संकट आता है तो उस पार्टियों की वैल्यू बहुत ज्यादा बढ़ जाती है जिन पार्टियों में कम विधायक होते हैं।
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