राजस्थान में इस परिवार फिर टूटा दुखों का पहाड़, 6 दिन पहले 7 लोगों का हुआ अंतिम संस्कार, अब बेटी की भी मौत

पूनिया परिवार के ऊपर से दुखों के बादल हटने का नाम नहीं ले रहे है। परिवार के सात लोगों की पहले ही मौत हो चुकी थी और 2 मासूम अभी तक लापता थे, जिसमें से शनिवार को परिवार के एक और सदस्य की डेड बॉडी भी मिल गई। ये परिवार की पोती राजवी है। एक मासूम की तलाश अभी भी की जा रही है।

rohan salodkar | Published : Apr 23, 2022 1:46 PM IST / Updated: Apr 23 2022, 07:31 PM IST

सीकर. रींगस के निवासी डॉ. पूनिया के परिवार की पंजाब की भाखड़ा नहर में छह दिन पहले हुए हादसे में उनकी पत्नी सरिता पूनिया और 14 साल के बेटे दक्ष की मौत के बाद शनिवार को मासूम बेटी की मौत की भी खबर आई। हादसे में लापता उनकी 4 साल की बेटी राजवी का शव मिल गया। शव घटना स्थल से 100किमी दूर मिला है। जानकारी के अनुसार 4 दिन पहले रींगस सीएचसी में कार्यरत हड्‌डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सतीश कुमार पूनिया, उनकी पत्नी सरिता पूनिया, बेटा राजा उर्फ दक्ष (14), डॉ. पूनिया का साला राजेश देवंदा (35) और राजेश की पत्नी रीना की मौत हो गई थी। सभी छुटि्टयां मनाने टूर पर गए थे।
लॉकेट से हुई पहचान
 टूर से वापस लौटते समय 18 अप्रैल को उनकी कार भाखड़ा नहर में गिर गई थी। इस हादसे के बाद से उनकी 4 साल की बेटी राजवी का शव नहीं मिल रहा था। पिछले 6 दिनों से उसकी तलाश की जा रही थी। आखिर 6 दिन बाद पंजाब पुलिस को राजवी का शव मिला। यह शव हादसे वाली जगह से करीब 100 किमी दूर मिला। इसके बाद फोटो घरवालों को भेजी गई। एक बार तो चेहरा पहचान में नहीं आया। लेकिन, राजवी के गले में पहने लॉकेट से घरवालों ने पहचान की। इसके बाद सीकर के ठिकरिया से परिजन शव लेने को रवाना हो गए। हादसे में लापता एक अन्य मासूम गुड़िया की अभी तलाश की जा रही है।

खबर मिलते ही परिवार में मचा कोहराम 
शनिवार सवेरे जैसे ही यह खबर ठिकरिया गांव पहुंची तो बड़ी मुश्किल से सब्र किए बैठे परिवार में कोहराम मच गया। किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह राजवी के दादा प्रभूदयाल और दादी मनोहरी देवी को जाकर इसकी खबर दे। दोनों को अब तक इसके बारे में नहीं बताया गया है। पिछले छह दिन से मनोहरी देवी(60) और प्रभुदयाल(65) इस उम्मीद में बैठे थे कि शायद उनकी पोती तो वापस लौट आएगी। मनोहरी देवी इस हादसे के बाद दिन में कई बार बेहोस हो जाती हैं और जब होश में आती हैं तो उनकी ज़ुबान पर बस एक ही नाम होता है पोती राजवी का।यही हाल प्रभुदयाल पूनिया का है। वे घर के बाहर बैठे रहते हैं। दिनभर घर में कई लोग आते हैं। वे बस एकटक यही देखते रहते हैं कि कब कोई राजवी को लेकर आएगा। बार बार मोबाइल को उठाकर देखते हैं कि शायद कोई खबर आएगी कि राजवी मिल गई। इसी मोबाइल पर राजवी से उनकी आखिरी बार बात हादसे से दो घंटे पहले हुई थी। तब उसने कहा था कि मैं रींगस आ रही हूं, आप आइसक्रीम लेकर आ जाना।
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