राजस्थान यूनिवर्सिटी में अब तक 38 बार हुए चुनाव, 20 बार निर्दलीय प्रत्याशी विजेता रहे

राजस्थान के सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। निर्मल चौधरी ने अध्यक्ष पद पर बड़ी जीत हासिल की है। यूनिवर्सिटी में लगता है छात्र संगठनों का दबदबा खत्म होता जा रहा है तभी तो निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है।

Asianet News Hindi | Published : Aug 27, 2022 11:33 AM IST

जयपुर. राजस्थान के सबसे बड़े विश्वविद्यालय राजस्थान विश्वविद्यालय में फैसला हो गया कि ताज किसके सिर पर सजा है।  मंत्री की बेटी को हराकर शिक्षक का बेटा अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुआ है। कांग्रेस से मंत्री मुरारी लाल मीणा की बेटी  निहारिका मीणा ने अंतिम समय तक जीत का दावा किया, लेकिन जब परिणाम सामने आए तो पता चला कि दूसरा निर्दलीय प्रत्याशी निर्मल चौधरी 1500 से ज्यादा वोट से जीत चुका है । 

38 बार चुनाव हुए हैं उनमें से 20 बार निर्दलीय प्रत्याशी विजेता रहे।
राजस्थान विश्वविद्यालय की जीत के बाद यह तय हो गया है कि एबीवीपी हो या एनएसयूआई दोनों ही छात्र संगठनों को छात्रों ने पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है। खास बात यह है कि अब तक इस यूनिवर्सिटी में कुल 38 बार चुनाव हुए हैं उनमें से 20 बार निर्दलीय प्रत्याशी विजेता रहे हैं। पिछले कुछ सालों से राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्र संगठनों का दबदबा खत्म होता जा रहा है। इस बार भी छात्र संगठन तीसरे और चौथे नंबर पर आए हैं। इसी परंपरा का आगे बढ़ाते हुए  निर्दलीय प्रत्याशी निर्मल चौधरी ने भी यह चुनाव जीत लिया है।

उपाध्यक्ष समेत अन्य पदों पर भी एनएसयूआई और एबीवीपी पीछे
इन परिणामों में पहले नंबर पर निर्मल चौधरी रहे हैं। दूसरे नंबर पर निहारिका मीणा रही है। तीसरे नंबर पर एनएसयूआई की ऋतु बराला और चौथे नंबर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नरेंद्र यादव रहे हैं। अध्यक्ष पद के लिए राजस्थान विश्वविद्यालय में इन चारों प्रत्याशियों के बीच में ही सीधा मुकाबला था। बताया जा रहा है कि अध्यक्ष पद के अलावा उपाध्यक्ष समेत अन्य पदों पर भी एनएसयूआई और एबीवीपी के अधिकतर प्रत्याशी हार गए हैं। 

निर्मल चौधरी को इन विधायकों ने किया सपोर्ट
गौरतलब है कि इससे पहले 2 साल कोरोना वायरस के कारण राजस्थान विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के किसी भी कॉलेज में चुनाव नहीं हुए थे । उससे पहले राजस्थान विश्वविद्यालय में पूजा वर्मा अध्यक्ष थी, वह भी निर्दलीय प्रत्याशी थी। वहीं बताया जा रहा है कि एमएलए मुकेश भाकर और एमएलए रामनिवास गावड़िया लगातार निर्मल चौधरी के संपर्क में थे। वह लगातार उन्हें सपोर्ट कर रहे थे। निर्मल की जीत के बाद दोनों विधायकों ने निर्मल को बधाई दी है।

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