राजस्थान में प्रिंसिपल की वजह से क्यों फूट- फूटकर रोने लगी छात्राएं, ग्रामीणों ने धरने पर बैठ जताया आक्रोश

राजस्थान के सीकर जिलें में एक प्रिंसिपल को सरकार द्वारा एपीओ दिया गया है। जिसका विरोध शनिवार के दिन वहां की पढ़ने वाली छात्राओं ने और ग्रामीणों ने विरोध किया। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि उन्हें बहाल नहीं किया गया तो यह आंदोलन जारी रहेगा।

सीकर. राजस्थान के सीकर जिले में एक प्रधानाध्यापक को एपीओ (awaiting posting order) करने पर छात्राओं का आक्रोश आंखों से फूट पड़ा। तारपुरा में मनसा जोहड़ी स्थित स्कूल के प्रधानाचार्य महेश कुमार को रिलीव करने पर वे ग्रामीणों के साथ स्कूल के बाहर धरने पर बैठ गई।  फूट- फूटकर रोने- बिलखने लगी। चिल्लाते हुए पूछने लगी कि हमारे प्रिंसिपल का दोष तो बताओ? बिना कारण ही उन्हें यहां से क्यों हटाया गया? इस दौरान सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण महिलाओं व पुरुषों ने भी शिक्षा विभाग की मंशा पर सवाल दागे। आरोप लगाया कि राजनीतिक षडय़ंत्र की वजह से प्रधानाचार्य को एपीओ किया गया है। सूचना पर पिपराली सीबीईओ सुमन चौधरी ने मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की। लेकिन, ग्रामीण प्रिंसिपल को फिर से बहाल करने की मांग पर अडिग़ रहे। चेतावनी भी दी कि मांग पूरी नहीं होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

प्रिंसिपल ने 40 से 200 तक पहुंचाया नामांकन
प्रिंसिपल के पक्ष में उतरे ग्रामीणों ने सरपंच संतरा देवी के नेतृत्व में कलेक्टर को भी ज्ञापन दिया है। जिसमें बताया कि प्रिंसिपल ने घर घर संपर्क कर स्कूल का नामांकन 40 से 200 तक पहुंचाया है। भामाशाहों को प्रेरित कर 50 लाख के विकास कार्य भी करवाए हैं। लिखा कि प्रिंसिपल के खिलाफ उच्च स्तर पर राजनीतिक षडय़ंत्र किया गया है। जिससे स्कूल की पढ़ाई को खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में प्रिंसिपल के एपीओ आदेश रद्द किए जाए। ज्ञापन देने वालों में महेश बगडिय़ा, कमलेश खीचड़, सुखराम, सुरेन्द्र, सुरेश, मुकेश, ओम प्रकाश आदि शामिल रहें।

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ग्रामीणों ने की शिकायत
प्रिंसिपल को एपीओ करने का कारण शिक्षा विभाग ने प्रशासनिक बताया है। शिक्षा अधिकारी रामचंद्र पिलानिया ने बताया कि ग्रामीणों ने प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत दी थी। जिसकी वजह से प्रिंसिपल को एपीओ किया गया है। वहीं, ग्रामीणों का ये भी कहना है कि निजी स्कूल संचालकों की सिफारिश पर प्रिंसिपल को स्कूल से हटाया गया है।

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