शहीदों को नमन करने शुरू की यात्रा, अभी तक 6 राज्य किए विजिट, अयोध्या राम मंदिर मेें दी वीरों के घऱ की मिट्टी

7 साल की उम्र में सैनिक की ड्रेस में शुरू की तिरंगा यात्रा, अयोध्या राम मंदिर के लिए भी सौंपी शहीदों के घर की मिट्टी। चार साल में छह राज्यों के 2200 शहीद स्मारकों पर फहराया तिरंगा। अब पहुंचे राजस्थान। जाने क्या है इसका सपना...

Sanjay Chaturvedi | Published : May 27, 2022 10:38 AM IST / Updated: May 27 2022, 04:21 PM IST

सीकर. देश के लिए मर मिटने वाले शहीदों को तो हर मन नमन करता है। लेकिन, आज हम आपको उस 11 वर्षीय बच्चे मिलवाने जा रहे हैं जिसके शहीदों को नमन करने के  जज्बे को भी हर कोई नमन कर रहा है। जी, हां ये शख्स उत्तर प्रदेश के आगरा जिले का खंदौली गांव निवासी देव पारासर है। जिसने शहीदों के सम्मान में महज 7 साल की उम्र में ही सैनिक की पोशाक में देश में तिरंगा यात्रा शुरू कर दी। वह देशभर के शहरों, गांव व ढाणियों में पहुंचकर शहीदों के घर व स्मारकों पर पहुंच रहा है। जहां वह तिरंगा फहराकर उन्हें सलामी देते हुए श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। मासूम उम्र के जज्बे का आलम ये है कि चार साल की अपनी यात्रा में वह अब तक देश के करीब 2200 शहीदों के दर पर वह तिरंगा फहरा चुका है। जिसमें अब तक छह लाख रुपए की निजी राशि खर्च हो चुकी है।

11 हजार शहीदों के घर पहुंचने व सैनिकों की सेवा का सपना

शहीद परिक्रमा करते हुए राजस्थान के सीकर जिले में पहुंचे। यहां वह देश के शहीदों के यहां झंडा फहराया व श्रद्धांजली दी। देव ने बताया कि उसने देश के शहीदों के सम्मान में यात्रा आगरा से शुरू की थी। जिसमें उसने 11 हजार शहीदों के घर व शहीद स्मारक पहुंचने का लक्ष्य रखा है। उसने बताया कि इसमें उसे करीब पांच साल से ज्यादा का समय और लगेगा। देव ने बताया कि वह सातवीं कक्षा में पढ़ रहा है। ऐसे में यह यात्रा वह गर्मियों व सर्दी की छुट्टी के अलावा अन्य छुट्टियों में ही करता है। कॅरियर को लेकर भी देव का कहना है कि वह डॉक्टर बनकर सैनिकों की ही सेवा करना चाहता है।

राममंदिर के लिए दी शहीद की मिट्टी

देव ने शहीदों के प्रति श्रद्धा को ईश्वरीय श्रद्धा से भी जोड़ा है। अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के लिए देव ने 15 शहीदों के घर की मिट्टी को इकट्ठा कर मंदिर ट्रस्ट को सौंपा था। जिसे भी मंदिर निर्माण में काम लिया गया है।

अमेरिका में ऐसा करते देखकर आया इंस्पिरेशन
देव ने बताया कि चार साल पहले उसने टीवी पर अमेरिका के कैलिफोर्निया के एक बच्चे द्वारा 10 हजार शहीद स्मारकों पर झंडा लगाने की खबर देखी थी। जिसके चलते राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उसे सम्मानित किया था। उसी खबर को देखकर उसके मन में भी शहीद सम्मान यात्रा की अलख जगी। पिता की सहमति व साथ मिला तो सैनिक की यूनिफॉर्म में उसने यात्रा की शुरूआत कर दी। 

फादर देते है साथ, परिवार संभालता है काम

यात्रा के दौरान देव के पिता सतीश पारासर साथ रहते हैं। प्रायवेट टीचिंग इंस्टीट्यूट का संचालन करने वाले सतीश ने बताया कि यात्रा के दौरान पत्नी नीरू व मां प्रेम शिक्षण संस्थान व पारिवारिक जिम्मेदारियां संभालती है। उन्होंने बताया कि देव के अलावा उनके दो बेटियां अनामिका (16) व कनिष्का (12) है। और वे भी अपने भाई के इस काम की बहुत सराहना करती है।साथ ही उन्हे अपने भाई पर गर्व है।

Share this article
click me!