
सीकर. दो महीने पहले श्रीनगर में शहीद हुए राजस्थान के सीकर जिले के आईटीबीपी के जवान सुभाष चंद्र बेरवाल के अंश के रूप में मंगलवार को बेटी की किलकारी गूंजी। शहीद वीरांगना सरला बेरवाल ने अपनी पीहर फतेहपुर के निजी अस्पताल में एक मासूम बच्ची को जन्म दिया। जिसे देखते ही उसकी आंखों में आंसू उमड़ पड़े। लेकिन, वीरांगना के जज्बे का प्रदर्शन करते हुए उसने अपनी बेटी को भी देश सेवा में समर्पित करने का संकल्प ले लिया। उसने कहा कि उसे अपने पति का अंश मिल गया है। जैसे पति ने देश सेवा की वैसे ही वह बेटी को भी देश सेवा में लगाएगी। कहा कि वह चाहती है कि बेटी पढ़ लिखकर आर्मी में बड़ी अफसर बने। शहीद के घर बेटी आने पर पूरे गांव ने खुशियां बनाई।
दिवाली पर आई लक्ष्मी, सरहद तक मनी खुुशियां
शहीद के बेटी जन्म को परिवार ने दिवाली पर लक्ष्मी का आगमन बताया। शहीद पिता कालूराम व मां शांति देवी भी घर में पहली पोती की सूचना पर ही खुशी से झूम उठे। उन्होंने कहा कि बेटा गया तो उन्हें बेटी मिल गई। शहीद के बेटी जन्म की खुशियां उसके गांव शाहपुरा से सरहद तक मनाई गई। वीरांगना के भाई मामराज ने बताया कि वीरांगना के बेटी जन्म के बाद शहीद सुभाष चंद के सरहद पर मौजूद दोस्तों ने भी उन्हें फोन कर बधाई दी और सरहद पर ही खुशियां भी मनाई।
दो महीने पहले शहीद हुआ सुभाष चंद
गौरतलब है कि सीकर के धोद कस्बे के शाहपुरा गांव निवासी आईटीबीपी में जवान सुुभाषचंद्र दो महीने पहले 16 अगस्त को श्री नगर में शहीद हो गया था। अमरनाथ की यात्रा से से बस में लौटते समय वह जम्मु कश्मीर के श्रीनगर में चंदनवाड़ी व पहलगांव के बीच ब्रेक फेल होने से अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई थी। जिसमें सुभाष चंद्र सहित आईटीबीपी के सात जवान शहीद हो गए थे। सुभाष चंद का 18 अगस्त को पैतृक गांव शाहपुरा में राजकीय व सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया था। उस समय सुभाष की आयु 28 वर्ष और पत्नी सरला सात महीने की गर्भवती थी।
ये वहीं आर्मी जवान है जिसकी अंतिम विदाई के समय शहीद पति के मूंछों पर ताव व सलामी देते हुए की भाव विभोर करने वाली तस्वीर भी खूब वायरल हुई थी।
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