श्रीगंगानगर में हादसा: घर में नहाने निकले थे दोनों भाई, लोगों ने परिजनों को दी ऐसी खबर की मच गया कोहराम

दोनों आपस में मामा बुआ के बेटे लगते थे। दोनों ने बोटिंग पोंड में नहाने का मन बनाया। जहां यह हादसा हुआ। दोनों को पानी में डूबता देख लोगों ने पुलिस को जानकारी दी। हालांकि तब तक दोनों बच्चों की मौत हो चुकी थी। 

Pawan Tiwari | Published : Aug 2, 2022 2:56 AM IST / Updated: Aug 02 2022, 08:29 AM IST

श्रीगंगानगर. घर से नहाने की बात कह कर निकले दोनों बच्चे पास के ही एक ही बोटिंग पोंड में डूब गए जिस कारण से उनी मौत हो गई। बच्चों को डूबता देख आसपास के लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंची दोनों को पानी से बाहर निकाला। इसी बीच पुलिस को किसी ने सूचना दे दी कि पानी के बीच ही दो बच्चे और डूबे हुए हैं। ऐसे में बेवजह ही यहां NDRF ने दो घंटे तक सर्च ऑपरेशन चलाया। दरअसल घटना श्रीगंगानगर जिले की है।

दोनों शव बरामद
यहां कच्ची बस्ती में रहने वाले देव और सन्नी सोमवार को स्कूल नहीं गए थे। दोनों आपस में मामा बुआ के बेटे लगते थे। इसके बाद दोनों ने बोटिंग पोंड में नहाने का मन बनाया। जहां यह हादसा हुआ। वहां से गुजर रहे कुछ लोगों ने दोनों को डूबते हुए देख लिया तो उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर एनडीआरफ को बुलाया और करीब 1 घंटे की मशक्कत के बाद दोनों के शवों को निकाला। लेकिन इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दी कि दोनों के साथ करीब 2 बच्चे और हैं जो भी पानी में डूब गए हैं। इसके बाद भी एनडीआरएफ ने करीब 2 घंटे तक अपना सर्च ऑपरेशन चलाया लेकिन जब कुछ पता नहीं चल पाया तो सर्च ऑपरेशन को बंद किया गया।

दोनों रिश्ते में लगते थे भाई
सन्नी और देव आपस में मामा बुआ के बेटे हैं। दोनों के बीच शुरू से ही गहरी दोस्ती थी। ज्यादातर काम दोनों साथ में ही करते थे। देव के पिता शादियों में ढोल बजाने का काम करते थे जिनके एकलौता बेटा देव ही था। वहीं सन्नी के पिता भी मेहनत मजदूरी का ही काम करते थे। दोनों परिवारों में बेटों की मौत के बाद अब कोहराम सा मचा है।

एक दिन पहले पांच बच्चे डूबे थे
गौरतलब है कि इससे पहले रविवार को भी कच्ची बस्ती इलाके के रहने वाले 5 बच्चों की डिग्गी में डूबने से मौत हो गई थी। यह बच्चे भी गरीब परिवारों के थे। इस बार राजस्थान में मानसून श्रीगंगानगर में ज्यादा मेहरबान रहा। जिसके चलते यहां के सभी जल स्रोत पूरी तरह से भर चुके हैं। लेकिन इन जल स्रोतों पर कोई सुरक्षा इंतजाम न होने के चलते ऐसे हादसे होते हैं।

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