किसी के पिता दूध बेचने का काम करते हैं तो कोई ड्राइवर है, किसी के पिता खेती किसानी करते हैं। लेकिन अब एक ही परिवार के चारों बेटे राजस्थान की अलग-अलग कॉलेजों में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे हैं।
जयपुर( Rajasthan). अनपढ़ का बेटा अनपढ़ और शिक्षित का बेटा ही शिक्षित होगा। इस कहावत को गलत कर दिखाया है राजधानी जयपुर के ग्रामीण इलाके के रहने वाले चार भाइयों ने। जिनमें किसी के पिता दूध बेचने का काम करते हैं तो कोई ड्राइवर है, किसी के पिता खेती किसानी करते हैं। लेकिन अब एक ही परिवार के चारों बेटे राजस्थान की अलग-अलग कॉलेजों में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे हैं।
राजधानी जयपुर के जोबनेर के ढकरवालों की ढाणी के रहने वाले अर्पित का जयपुर के सवाई मानसिंह कॉलेज में एडमिशन हुआ है। बड़े भाई रमेश का पिछले साल ही अजमेर के जेएलएन मेडिकल कॉलेज में सिलेक्शन हो गया। दोनों के चचेरे भाई कमलेश का भी इसी साल सीकर के एसडीम मेडिकल कॉलेज में सिलेक्शन हुआ है। वही इन्हीं के एक भाई सुनील को भी अब अंतिम सूची जारी होने के बाद अजमेर के जेएलएन मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिल चुका है। इन सभी भाइयों का यहां तक पहुंचने का सफर काफी मुश्किल रहा है।
खेती किसानी हुई चौपट तो ड्राइवरी करने लगे पिता
जयपुर के सवाई मानसिंह कॉलेज में पढ़ने वाले अर्पित ने बताया कि उनके पिता भोलू राम पहले पूरे परिवार के साथ मिलकर खेती का काम करते थे। इस साल उन्होंने अच्छी खेती की उम्मीद लगाते हुए लोन लिया और इसके बाद खेती की। लेकिन पानी की कमी के चलते पूरे अरमान चौपट हो गए। इसके बाद उनके पिता ने ड्राइवरी करना शुरू कर दी। अर्पित के दोनों चाचा के साथ भी ऐसा ही हुआ।
फीस भरने को दूध बेंचते थे चारों भाई
अर्पित ने बताया कि घर में खेती का काम था तो पशुओं को भी पाला गया था। ऐसे में हम चारों भाइयों ने सोचा कि क्या करें कि हमारी फीस के लिए हमारे घर वाले ही परेशान न हो। हम खुद भी इसके लिए उनका सहयोग करें। ऐसे में हम चारों भाइयों ने भी अपनी फीस के पैसे जुटाने के लिए दूध बेचना शुरू कर दिया।
गांव में कोई 12वीं तक भी नहीं पढ़ा
आश्चर्य की बात ये है कि जिस ढाणी के यह चारों रहने वाले हैं वहां कोई 12वीं क्लास भी नहीं पढ़ा हुआ है। इन चारों के डॉक्टर बनने के बाद पूरे गांव में खुशी ली लहर है। हर कोई इन चार भाइयों और उनके संघर्षों के बारे में कह रहा है।
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