कम बोलें और ज्यादा सुनें तो रिश्ते रहते हैं ठीक, जानें ये टिप्स

कहा गया है कि जरूरत से ज्यादा कभी नहीं बोलना चाहिए। जिन लोगों को ज्यादा बोलने की आदत होती है, वे कभी-कभी कुछ ऐसी बातें भी कह देते हैं, जिनसे रिलेशनशिप पर बुरा असर पड़ता है। 

रिलेशनशिप डेस्क। कहा गया है कि जरूरत से ज्यादा कभी नहीं बोलना चाहिए। जिन लोगों को ज्यादा बोलने की आदत होती है, वे कभी-कभी कुछ ऐसी बातें भी कह देते हैं, जिनसे रिलेशनशिप पर बुरा असर पड़ता है। बोलने से ज्यादा सामने वाले की बात सुननी चाहिए और उसके कहने का क्या मतलब है, उसे समझकर ही जवाब देना चाहिए। कुछ लोग बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देते हैं। वे इसका ध्यान नहीं रखते कि उनकी बातों का असर सामने वाले पर क्या होगा। खास कर पार्टनर से बातें करते हुए यह खास ध्यान रखना चाहिए कि कोई ऐसी बात न बोलें कि उसकी भावनाओं पर चोट पहुंचे। इसलिए अगर रिश्ते को सही-सलामत रखना हो तो पार्टनर से फिजूल की बातें नहीं करनी चाहिए। जानें कुछ टिप्स।

1. सुनने से बढ़ती है जानकारी
जो लोग ज्यादा बोलते हैं, जरूरी नहीं कि वे सारी बातें सही ही कहें। ऐसे लोग दूसरों के बोलने से पहले या कोई बोल रहा हो तो उसकी बात के बीच में ही बोलना शुरू कर देते हैं। लेकिन जब आप बोलने की जगह सुनने पर ज्यादा ध्यान देते हैं तो आपकी जानकारी बढ़ती है। 

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2. सीक्रेट बातें भी देते हैं बता
जिन लोगों को ज्यादा बोलने की आदत होती है, वे बोलने की धुन में सीक्रेट बातें भी बता देते हैं और बाद में पछताते हैं। वहीं, पार्टनर उनकी सीक्रेट बातें जान कर उनका मजाक भी उड़ा सकता है और अगर उसे वे बातें आपत्तिजनक लगीं तो संबंध भी तोड़ सकता है। 

3. कम बोलने वाले होते हैं गंभीर 
जो लोग ज्यादा बोलते हैं, उनका लोग मजाक भी उड़ाते हैं। इसकी वजह ये है कि ज्यादा बोलने के कारण वे ऐसी भी बातें बोल देते हैं, जिनका कोई मायने-मतलब नहीं होता। वहीं, कम और सोच-समझ कर बोलने वाले को लोग गंभीरता से लेते हैं और उसकी हर बात पर ध्यान देते हैं।

4. सुनने से समझना होता है आसान
अगर आप खुद ज्यादा बोलने की जगह दूसरे की बात को ध्यान से सुनेंगे तो उसे अच्छा महसूस होगा। उसे लगेगा कि उसकी बातें अच्छी हैं। साथ ही, जब आप सुनने पर अपना ध्यान रखेंगे तो पार्टनर की भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे। 

5. कम शब्दों में बात रखना बेहतर
कम शब्दों में अपनी बात रखना बेहतर होता है। इससे आप साफ-साफ अपनी बातें कह देते हैं और उनमें कोई लाग-लपेट नहीं होता। इसका सुनने वाले पर अच्छा असर होता है और आपकी बातें प्रभाव भी छोड़ती हैं। इसलिए कम बोलें, पर सटीक बोलें। 


 

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