- जब भी आप कन्या पूजन करना चाहते हैं, उसके एक दिन पहले कन्याओं को उनके घर जाकर निमंत्रण देकर आएं।
- जब कन्याएं भोजन के लिए घर आ जाएं तो उन्हें माता का रूप मानकर इसका सम्मान करें और उचित स्थान पर बैठाएं।
- कन्या पूजन के लिए बनाया गया भोजन पूरी तरह से सात्विक होना चाहिए। इसमें खीर या हलवा विशेष रूप से होना चाहिए।
- सभी कन्याओं को आसन पर बैठाकर भोजन करवाएं। भोजन के बाद कन्याओं को चुनरी ओढ़ाएं, तिलक लगाएं।
- सभी कन्याओं के पैर धोकर महावर या मेहंदी लगाएं। इसके बाद हाथ में फूल लेकर यह मंत्र बोलें-
मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।
जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि।
पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते।।
- यह फूल कन्या के पैर में रखकर प्रणाम करें। इसके बाद कन्याओं को अपनी इच्छा अनुसार कुछ उपहार और दक्षिणा भी दें।
- इस तरह पूजन करने के बाद कन्याओं को घर के दरवाजे तक ससम्मान छोड़कर आएं। इससे देवी प्रसन्न होती हैं।
- चैत्र नवरात्रि में जो विधि पूर्वक कन्या पूजन करता है, उसके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और हर काम में सफलता मिलती है।
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