- हरतालिका तीज व्रत के एक दिन पहले यानी 5 सितंबर, गुरुवार की रात सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- अगले दिन 6 सितंबर, शुक्रवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल-चावल देकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- हरतालिका तीज व्रत में कुछ भी खाने-पीने की मनाही होती है। बहुत जरूरी हो तो बहुत थोड़ा पानी पी सकते हैं
- इस दिन संयमपूर्वक रहें। क्रोध न करें, गलत विचार मन में न लाएं। मन ही मन शिव-पार्वती का नाम स्मरण करते रहें।
- शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर भगवान शिव, देवी पार्वती, श्रीगणेश और रिद्धि-सिद्धि की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- हरतालिका तीज की पूजा में पहले श्रीगणेश की पूजा पत्नियों सहित करें। इसके बाद शिव-पार्वती की पूजा शुरू करें।
- पूजा में शिव-पार्वती को अबीर, गुलाल, रोली, पेड़ों की पत्तियां, बेल पत्र, फल, धतूरा आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं।
- शिवजी को सफेद और देवी पार्वती को लाल वस्त्र अर्पित करें। फूलों की माला पहनाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें- ऊं हराय नम:, ऊं महेश्वराय नम:, ऊं शम्भवे नम:, ऊं शूलपाणये नम:, ऊं पिनाकवृषे नम:, ऊं शिवाय नम:, ऊं पशुपतये नम:, ऊं महादेवाय नम:।
- देवी पार्वती की पूजा करते समय ये मंत्र बोलें- ऊं उमायै नम:, ऊं पार्वत्यै नम:, ऊं जगद्धात्र्यै नम:, ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊं शांतिरूपिण्यै नम:, ऊं शिवायै नम:।
- हरतालिका व्रत में रात में 4 बार शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। महिलाएं रात भर जागरण कर व्रत की कथा सुनें और भजन-कीर्तन करें।
- रात के चौथे पहर की पूजा के बाद व्रत संपन्न करें। व्रत पूरा होने के बाद पहले प्रसाद खाएं और इसके बाद भोजन आदि करें।