8 सितंबर को करें ऋषि पंचमी व्रत, जानें मंत्र, पूजा विधि और मुहूर्त, कथा भी सुनें

Rishi Panchami 2024 Kab Hai: 8 सितंबर, रविवार को ऋषि पंचमी व्रत किया जाएगा। महिलाओं के लिए ये व्रत करना बहुत ही जरूरी माना जाता है। जानें इस व्रत की विधि, मंत्र, मुहूर्त और कथा सहित पूरी डिटेल…

 

Manish Meharele | Published : Sep 5, 2024 11:43 AM IST / Updated: Sep 08 2024, 12:11 PM IST

Rishi Panchami 2024 Details: धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। इस बार ये तिथि 8 सितंबर, रविवार को किया जाएगा। ये व्रत महिला प्रधान हैं। ये व्रत सिर्फ वहीं महिलाएं करती हैं जो रजस्वला होती हैं यानी जिनके पीरियड आते हैं। इस व्रत में सप्तऋषियों की पूजा करने की परंपरा है। आगे जानिए ऋषि पंचमी व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त, कथा व अन्य खास बातें…

ऋषि पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त (Rishi Panchami 2024 Puja Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 07 सितंबर, शनिवार की शाम 05:37 से 08 सितंबर, रविवार की रात 07:58 तक रहेगी। चूंकि पंचमी तिथि का सूर्योदय 8 सितंबर को उदय होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। रविवार को बुधादित्य नाम का राजयोग रहेगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:03 से 01:34 तक रहेगा। यानी पूजा के लिए कुल अवधि 02 घंटे 30 मिनिट की रहेगी।

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इस विधि से करें ऋषिपंचमी व्रत-पूजा (Rishi Panchami Vrat Puja Vidhi)
- 8 सितंबर, रविवार की सुबह जल्दी उठकर अपामार्ग (एक प्रकार की वनस्पति जिसे आंधीझाड़ा भी कहते हैं) से दांत साफ करें और इसे सिर पर रखकर स्नान करें।
- इसके बाद घर में किसी स्थान की साफ-सफाई करें और गंगाजल या गौमूत्र छिड़ककर पवित्र करें। वहां मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित कर उसे कपड़े से ढंक दें।
- इसके ऊपर मिट्टी के बर्तन में जौ भरकर रखें और तरह व्रत-पूजा का संकल्प लें-
अमुक गोत्रा (अपना गोत्र बोलें) अमुक देवी (अपना नाम लें) अहं मम आत्मनो रजस्वलावस्थायां गृहभाण्डादिस्पर्शदोषपरिहारार्थं अरुन्धतीसहितसप्तर्षिपूजनं करिष्ये।
- कलश में ही सप्तऋषियों का निवास मानें और उसकी पूजा करें। इस कलश को किसी ब्राह्मण को दान कर दें। इस व्रत में हल से जुते हुए खेत का अन्न खाना मना है।

ये है ऋषि पंचमी व्रत की कथा (Rishi Panchami Katha In Hindi)
- प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन समय में किसी गांव में एक ब्राह्मण रहता था, उसका नाम उत्तरा था, उसकी पत्नी का नाम सुशीला था। उत्तरा की एक बेटी भी थी, जो बचपन में ही विधवा हो गई थी।
- एक रात जब उत्तरा की बेटी सो रही थी, उसके पूरे शरीर पर चींटियां लग गई। सुबह जब उत्तरा ने ये देखा तो उसे बहुत दुख हुआ। तभी वहां एक तपस्वी ऋषि आए। उत्तरा और उन्हें पूरी बात बता दी।
- कन्या की स्थिति देखकर ऋषि ने कहा कि ‘तुम्हारी बेटी ने पूर्व जन्म में रजस्वला काल के दौरान कईं पाप किए थे, उसी के फलस्वरूप उसकी ये स्थिति हुई थी। उत्तरा ने ऋषि से इसका उपाय पूछा।
- ऋषि ने बताया कि ‘अगर तुम्हारी कन्या विधि-विधान से ऋषि पंचमी का व्रत करे तो उसके सभी दुख दूर हो सकते हैं। उत्तरा की पुत्री ने ऐसा ही किया और इससे उसके सभी कष्ट दूर हो गए।’


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Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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