Ayodhya Ram Mandir: क्या भगवान श्रीराम मांसाहारी थे, धर्म ग्रंथों से जानें क्या है सच्चाई?

Ayodhya Ram Mamdir Facts: पिछले दिनों एक राजनेता ने भगवान श्रीराम पर विवादित बयान दिया कि श्रीराम जंगल में रहकर मांस खाते थे। इतना बोलकर उन्होंने बैठे-बिठाए विवाद मोल ले लिया। मामला इतना बिगड़ा कि बाद में उस राजनेता को माफी तक मांगनी पड़ी।

 

Manish Meharele | Published : Jan 9, 2024 11:14 AM IST / Updated: Jan 09 2024, 09:26 PM IST

उज्जैन. अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार है। 22 जनवरी 2024 को मंदिर के गर्भगृह में राम लला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसके पहले कुछ राजनेताओं द्वारा लगातार भगवान श्रीराम पर विवादित बयान दिए जा रहे हैं। पिछले दिनों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता जितेंद्र आव्हाड ने बयान दिया था कि ‘श्रीराम मांसाहारी थे।’ उनके इस बयान पर इतना बवाल हुआ कि उन्हें माफी मांगनी पड़ी। इस विषय पर उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा ने वाल्मीकि रामायण सहित अन्य ग्रंथों में बताए कुछ तथ्य हमें बताए, जिससे ये सिद्ध होता है कि वनवास के दौरान श्रीराम ने भोजन के रूप में क्या खाया।

वाल्मीकि रामायण से जानें सही बात
भगवान श्रीराम पर सबसे प्रमाणिक ग्रंथ है वाल्मीकि रामायण। वाल्मीकि रामायण के अयोध्या काण्ड में भगवान राम वनवास जाने के पूर्व अपने पिता से कहते हैं कि-
फलानि मूलानि च भक्षयन् वने।
गिरीमः च पश्यन् सरितः सरांसि च।।
वनम् प्रविश्य एव विचित्र पादपम्।
सुखी भविष्यामि तव अस्तु निर्वृतिः ।। (2-34-59)

अर्थ- श्रीराम अपने पिता दशरथ की चिंता को कम करने का प्रयास करते हुए कहते हैं- ‘मैं वन में प्रवेश करके कंद-मूल-फल का भोजन करता हुआ पर्वतों, नदियों, सरोवरों को देखकर सुखी होऊंगा. इसलिए आप अपने मन को शांत कीजिये।’

पित्रा नियुक्ता भगवन् प्रवेक्ष्यामस्तपोवनम्।
धर्ममेवाचरिष्यामस्तत्र मूलफलाशनाः ॥ (2-48-16)

‘भगवन! इस प्रकार पिता की आज्ञा से हम तीनों (श्रीराम, सीता और लक्ष्मण) तपोवन में जाएंगे और वहां फल-मूल का आहार ग्रहण कर धर्म का आचरण करेंगे।‘

वचन के पक्के थे श्रीराम
भगवान श्रीराम अपने वचन के पक्के थे, ये बात तो सभी जानते हैं। ऊपर बताए गए श्लोकों से पता चलता है कि भगवान श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ को वचन दिया था कि वे वन में तपस्वियों की तरह जीवन यापन करेंगे। दूसरी बात जो हमारे पुराणों में लिखी है कि 'रामो द्विर्नाभिभाषते' यानी भगवान राम दो अर्थों की भाषा नहीं बोलते थे। इसका अर्थ है कि श्रीराम ने जो बात जैसी कही है, उसी के वे पालन करते थे।

महाभारत में भी है इसका प्रमाण
महाभारत के अनुशासन पर्व के 115वें अध्याय में कहा गया है कि ‘श्येनचित्र, सोमक, वृक, रैवत, रन्तिदेव, वसु, संजय, अन्यान्य नरेश, कृप, दुष्यन्त, भरत, करूष, राम, अलर्क, नर, विरूपाश्व, निमि, राजा जनक, पुरूरवा, पृथु, वीरसेन, इक्ष्वाकु, शम्भु, श्वेतसागर, अज, धुन्धु, सुबाहु, हर्यश्व, क्षुप, भरत- इन सबने तथा अन्यान्य राजाओं ने भी कभी मांस भक्षण नहीं किया था।’ इन सारे प्रमाणों से ही सिद्ध होता है कि भगवान राम ने कभी मांस भक्षण नही किया।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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