Ayodhya Ram Mandir History: किसने की थी गुम हो चुकी अयोध्या की खोज, किसने बनाया था राम मंदिर?

Ayodhya Ram Mandir: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होगा। उसी दिन यहां गर्भगृह में भगवान श्रीराम की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कईं बड़ी हस्तियां शामिल होंगी।

 

Manish Meharele | Published : Jan 4, 2024 9:22 AM IST / Updated: Jan 05 2024, 04:14 PM IST

Ayodhya Ram Mandir Katha: अयोध्या का अस्तित्व धरती के प्रारंभ से है। इसलिए अयोध्या को प्राचीन सप्तपुरियों में से एक माना जाता है। सतयुग से द्वापर युग तक लिखे गए अनेक ग्रंथों में अयोध्या का वर्णन है, लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जब अयोध्या गुमनामी के अंधेरे में खो गई। तब उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने अयोध्या की खोज की और अयोध्या को पुन:स्थापित किया। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा के अनुसार, गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित अयोध्या दर्शन ग्रंथ में इस घटना का वर्णन मिलता है। आगे जानिए राजा विक्रमादित्य ने कैसी खोजी खोई हुई अयोध्या…

जानें कैसे हुई अयोध्या की खोज?
प्राचीन समय में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य का शासन दूर-दूर तक फैला हुआ था। एक बार राजा विक्रमादित्य अपनी सेना सहित अयोध्या क्षेत्र से गुजर रहे थे, तभी उन्हें इस भूमि पर उन्हें सकारात्मक ऊर्जा का आभास हुआ। जब राजा विक्रमादित्य प्रयागराज आए तो यहां प्रयागराज तीर्थ स्वयं एक ब्राह्मण के रूप में उनसे मिले और कहां कि ‘आप जिस स्थान से होकर आ रहे हैं, वह भगवान श्रीराम की जन्म स्थली अयोध्या है, आप ही इसका पुनरुद्धार कर सकते हैं।
इसके बाद ब्राह्मण रूपधारी प्रयागराज ने राजा विक्रमादित्य को अयोध्या में भगवान श्रीराम का जन्म स्थान, उनका महल और अन्य स्थानों के बारे मे बताया। जब राजा विक्रमादित्य वहां पहुंचें तो प्रयागराज तीर्थ की बताई बातों को वह भूल गए। तभी वहां एक अन्य संन्यासी आए तो उन्हें कहा कि ‘राजन, आप एक सफेद गाय को यहां बुलवाएं और जिस स्थान पर गाय के थन से स्वत: ही दूध गिरने लगे,, उसे ही भगवान श्रीराम का जन्म स्थल समझिए।
राजा विक्रमादित्य ने ऐसा ही किया और जहां गाय के थनों से दूध गिरने लगा, उस स्थान पर भगवान श्रीराम का विशाल मंदिर बनवाया। कहते हैं कि श्रीराम के उस मंदिर का स्वर्ण शिखर 80 किलोमीटर दूर से भी दिखता था। आज वर्तमान में जो अयोध्या का मूल क्षेत्र है इसे पुनः बसाने में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य जी का ही योगदान है।


ये भी पढ़ें-

Saphala Ekadashi 2024: 6 या 7 जनवरी कब करें सफला एकादशी व्रत? जानें सही डेट, पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व


Lohri 2024 Kab Hai: कब मनाएं लोहड़ी, 13 या 14 जनवरी को? नोट करें डेट


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

Read more Articles on
Share this article
click me!