Father's day 2023: धर्म ग्रंथों के 5 पिता, जिनकी संतान का जन्म किसी स्त्री के गर्भ से नहीं हुआ

fathers day 2023: इस बार फादर्स डे 18 जून, रविवार को है। इस दिन लोग पिता के प्रति अपना अपना प्रेम और सम्मान प्रकट करते हैं। वैसे तो फादर्स डे मनाने का चलन पश्चिमी देशों में हैं, लेकिन भारत में भी इसका चलन बढ़ता जा रहा है।

 

Manish Meharele | Published : Jun 17, 2023 5:56 AM IST / Updated: Jun 18 2023, 09:02 AM IST

उज्जैन. हर साल जून माह के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। इस बार फादर्स डे (fathers day 2023) 18 जून को है। ये पिता के प्रति प्रेम और सम्मान दिखाने का दिन है। हिंदू धर्म में पिता को भगवान से भी श्रेष्ठ माना गया है। हमारे धर्म ग्रंथों में कई ऐसे पिताओं का वर्णन भी मिलता है, जिनकी संतान किसी स्त्री के गर्भ से नहीं जन्मी बल्कि उनका जन्म बहुत ही अलग तरीकों से हुआ है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही पिताओं के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं…

हिरणी से जन्में ऋषि ऋष्यश्रृंग
वाल्मीकि रामायण में विभाण्डक ऋषि का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार, एक बार ऋषि विभाण्डक नदी में स्नान कर रहे थे, उसी समय उनका वीर्यपात हो गया, जिसे एक हिरणी ने पी लिया। ऐसा होने से हिरणी गर्भवती हो गई और उसने एक मनुष्य रूपी पुत्र को जन्म दिया, जिसके सिर पर एक सिंग था। सिर पर सिंग होने के कारण ऋषि विभाण्डक ने उनका नाम ऋष्यश्रृंग रखा। ऋषि ऋष्यश्रृंग ने ही राजा दशरथ का पुत्रकामेष्ठि यज्ञ संपन्न करवाया था, जिससे श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।

मटके से जन्में थे द्रोणाचार्य
महाभारत के अनुसार, भरद्वाज नाम के एक महान ऋषि थे। एक बार जब वे गंगा स्नान कर रहे थे, तभी वहां उन्होंने एक अप्सरा को देखा, जिसे देखकर उनका वीर्य स्खलित होने लगा। ऋषि ने अपने वीर्य को द्रोण नामक एक बर्तन (मटका) में एकत्रित कर लिया। कुछ समय बाद इसी बर्तन से एक पुत्र उत्पन्न हुआ। ऋषि भारद्वाज ने अपने इस पुत्र का नाम द्रोणाचार्य रखा। यही द्रोणाचार्य पांडवों और कौरवों के गुरु हुए।

ऐसे हुआ था कृपाचार्य का जन्म
महाभारत के अनुसार, शरद्वान नाम के एक पराक्रमी ऋषि थे। वे धनुर्विद्या में भी निपुण थे। दिव्य अस्त्र पाने के लिए उन्होंने घोर तपस्या की, जिसे देख देवराज इंद्र घबरा गए। उन्होंने शरद्वान की तपस्या तोड़ने के लिए जानपदी नाम की अप्सरा भेजी, उसे देखकर महर्षि शरद्वान का वीर्यपात हो गया। उनका वीर्य सरकंड़ों (विशेष प्रकार के पौधे) पर गिरा, जिससे वह दो भागों में बंट गया। उससे एक कन्या और एक बालक उत्पन्न हुआ। वही बालक कृपाचार्य बना और कन्या कृपी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

यज्ञ से उत्पन्न हुए थे द्रौपदी और धृष्टद्युम्न
महाभारत की प्रमुख पात्र द्रौपदी के बारे में तो सभी जानते हैं, इनके पिता का नाम राजा द्रुपद था। द्रौपदी और उनके भाई धृष्टद्युम्न का जन्म भी माता के गर्भ से नहीं हुआ। राजा धृष्टद्युम्न द्रोणाचार्य का वध करने वाला पुत्र चाहते थे, इसलिए उन्होंने एक यज्ञ किया। इसी यज्ञ से पहले द्रौपदी और बाद में धृष्टद्युम्न निकले। यज्ञ से प्रकट होने के कारण ही द्रौपदी को यज्ञसेनी भी कहा जाता है।

मछली के गर्भ से हुआ था सत्यवती का जन्म
महाभारत के अनुसार, पौराणिक काल में उपरिचर नाम के एक राजा थे। एक दिन वे जंगल में शिकार पर गए तो वहीं उसका वीर्यपात हो गया। राजा ने उस वीर्य को एक पोटली में संग्रहित कर लिया और पक्षी को उसे अपनी पत्नी गिरिका तक पहुंचाने के लिए कहा। रास्ते में एक दूसरे पक्षी ने उस पर हमला कर दिया, जिससे वीर्य को पोटली यमुना नदी में गिर गई। उस वीर्य को एक मछली ने निगल लिया। उस मछली को मछुवारों ने पकड़ लिया और जब उसका पेट चीरा तो उसमें से एक नवजात लड़की व एक लड़का निकला। मछुवारों ने ये बात जाकर राज उपरिचर को बताई। राजा ने पुत्र को तो अपना लिया, लेकिन कन्या को मछुआरों को सौंप दिया। यही कन्या सत्यवती के रूप में प्रसिद्ध हुई। भीष्म के पिता राजा शांतनु ने सत्यवती से विवाह किया था।



ये भी पढ़ें-

Shani Upay: 18 जून से शनि होगा वक्री, 7 उपाय बचा सकते हैं बर्बादी से


Adipurush: आदिपुरुष मूवी के पहले ही सीन में दिखा बड़ा ब्लंडर, रावण ने ब्रह्मा से मांगा था ये ‘वरदान’ दिखाया कुछ और


Adipurush मूवी के 10 ब्लंडर, जिन्हें जानकर आप भी कहेंगे ‘हे राम’


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

Read more Articles on
Share this article
click me!