Hindu Tradition: परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु होने पर सिर क्यों मुंडवाते हैं?

Hindu Tradition After Funeral: जब भी किसी हिंदू परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है तो इसके बारे उसके परिजन अनेक परंपराएं निभाते हैं। इन पंरपराओं के पीछे धार्मिक, वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण छिपे होते हैं।

 

Manish Meharele | Published : Apr 15, 2024 10:27 AM IST / Updated: Apr 16 2024, 03:08 PM IST

Hindu Parmparaye: हिंदू धर्म में अनेक मान्यताएं और परंपराएं है। जब भी किसी हिंदू परिवार में किसी की मृत्यु होती है तो 13 दिनों तक अनेक परंपराएं निभाई जाती हैं। इस दौरान मृतक के परिवार के पुरुष सदस्य अपने बालों का मुंडन भी करवाते हैं। ये एक बहुत जरूरी परंपरा मानी जाती है। इस परंपरा के बारे में गरुड़ पुराण में भी बताया गया है। वहीं इसके पीछे एक मनोवैज्ञानिक तथ्य भी छिपा है। आगे जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…

सिर मुंडवाना क्यों जरूरी, क्या लिखा है गरुड़ पुराण में?
गरुड़ पुराण के अनुसार, जब किसी परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है तो उस परिवार के सदस्यों को पातक का दोष लगता है। पातक के दौरान उस परिवार के सभी सदस्यों को अशुद्ध माना जाता है। पातक के दोष को कम करने के लिए ही पुरुष सदस्य अपना सिर मुंडवाते हैं। 13 दिनों के बाद पातक दोष स्वत: ही खत्म हो जाता है।

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क्यों मुंडवाते हैं सिर? जानें मनोवैज्ञानिक पक्ष
जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार के पुरुष सदस्य अपना सिर मुंडवाते हैं। ये एक तरह से मृतक के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने का माध्यम है। वहीं इससे मिलने-जुलने वाले लोगों को ये भी पता चलता है कि इस व्यक्ति के परिवार में हाल ही में किसी की मृत्यु हुई है। सिर मुंडवाना एक तरीके से शोक व्यक्ति करने का जरिया भी है। इन कारणों से मृत्यु के बाद सिर मुंडवाने की परंपरा है।

कौन मुंडवाता है सिर-कौन नहीं?
हिंदू परंपरा के अनुसार, जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है, उससे उम्र में छोटे सदस्य ही अपना सिर मुंडवाते हैं, यदि कोई मृतक से उम्र में बड़ा है तो वह अपना सिर नहीं मुंडवाता। कुछ स्थानों पर दाह संस्कार के तीसरे दिन तो कुछ जगहों पर दसवें दिन सिर मुंडवाने की परंपरा है।


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