कौन थे पांडवों के मामा?, जिन्होंने महाभारत युद्ध में दिया था दुर्योधन का साथ

Interesting facts about Mahabharata: महाभारत में कौरवों के मामा शकुनि के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन पांडवों के मामा के बारे में कम ही लोगों को पता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि महाभारत युद्ध में पांडवों के मामा ने कौरवों का साथ दिया था।

 

Manish Meharele | Published : Sep 17, 2024 10:13 AM IST

महाभारत में श्रीकृष्ण के मामा कंस और कौरवों के मामा शकुनि के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन पांडवों के मामा के बारे में कम ही लोगों को जानकारी है। खास बात ये भी है कि पांडवों के इन मामा ने युद्ध में कौरवों का साथ दिया था। इसके पीछे भी एक खास वजह थी। आगे जानिए कौन थे पांडवों के मामा और उन्होंने युद्ध में क्यों दिया कौरवों का साथ…

कौन थे पांडवों के मामा?
महाभारत के अनुसार, राजा पांडु की दो पत्नियां थीं- पहली कुंती और दूसरी माद्री। पांडु की दूसरी पत्नी माद्री के भाई मद्रदेश के राजा शल्य थे। नकुल और सहदेव कुंती के नहीं बल्कि माद्री के पुत्र थे। इस वजह से नकुल और सहदेव के साथ-साथ युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन भी राजा शल्य को मामा की तरह ही सम्मान देते थे।

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दुर्योधन ने चली चाल
जब राजा शल्य को पता चला कि कुरुक्षेत्र के मैदान में पांडवों और कौरवों में युद्ध होने वाला है तो वे अपनी विशाल सेना लेकर पांडवों की सहायता के लिए निकल पड़े। दुर्योधन राजा शल्य को अपने पक्ष में करना चाहता था, इसके लिए उसने एक चाल चली और राजा शल्य के आने वाले रास्ते पर विशाल भवन बनवा दिए और सुख-सुविधाएं वाली चीजें रखवा दीं।

दुर्योधन ने मांगा वरदान
राजा शल्य की सेना जहां भी पड़ाव डालती, वहां दुर्योधन के लोग उनके लिए उचित व्यवस्था कर देते। राजा शल्य को लगा कि मेरे आने की खुशी में युधिष्ठिर ने ये सब प्रबंध करवाया है। एक दिन राजा शल्य को प्रसन्न देखकर दुर्योधन उनके सामने आया और कहा – ‘आप युद्ध में मेरी सहायता कीजिए।’ चूंकि राजा शल्य वचन दे चुके थे, इसलिए उन्हें दुर्योधन की बात माननी पड़ी।

जब शल्य ने पांडवों को बताई ये बात
दुर्योधन के पक्ष में युद्ध करने की बात मानकर राजा शल्य पांडवों से मिलने उनके शिविर में गए। वहां उन्होंने पूरी बात युधिष्ठिर को बताई। नकुल और सहदेव ये जानकर काफी दुखी हुए, लेकिन युधिष्ठिर ने राजा शल्य से अपना वचन पूरा करने को कहा और ये बोला- जब आप कर्ण के सारथि बनें तो उसे हतोत्साहित कीजिएगा ताकि अर्जुन उसे आसानी से मार सके।

जब कर्ण के सारथि बने राजा शल्य
जब दुर्योधन ने कर्ण को सेनापति बनाया तो उनके लिए श्रीकृष्ण की ही तरह योग्य सारथी की जरूरत पड़ी। तब राजा शल्य को कर्ण का सारथि बनाया गया। राजा शल्य ने कर्ण के सामने अर्जुन की बहुत तारीफ की, जिससे कर्ण का मनोबल टूट गया और अर्जुन ने उनका वध कर दिया।

दुर्योधन ने बनाया सेनापति
कर्ण की मृत्यु के बाद दुर्योधन ने राजा शल्य को कौरव सेना का सेनापति बनाया। सेनापति बनते ही राजा शल्य ने पांडवों की सेना का नाश करना शुरू कर दिया। तब उनसे युद्ध करने के लिए स्वयं युधिष्ठिर को आना पड़ा। शल्य और युधिष्ठिर के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें राजा शल्य की मृत्यु हो गई।


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इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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