कौन थीं हस्तिनापुर की वो रानी, जिनका मछली के पेट से हुआ था जन्म?

Mahabharat Interesting Facts: महाभारत में राजा शांतनु की पत्नी सत्यवती के बारे में सभी यही समझते हैं कि वो एक केवट यानी नाव चलाने वाली की पुत्री थीं, जबकि सच्चाई कुछ और है। धृतराष्ट्र और पांडु सत्यवती के ही पोते थे।

 

Manish Meharele | Published : Sep 14, 2024 9:50 AM IST / Updated: Sep 14 2024, 03:26 PM IST

Interesting facts about Satyavati In Mahabharat: भीष्म पितामाह के पिता का नाम शांतनु था, जो हस्तिनापुर के राजा थे। शांतनु का पहला विवाह देवनदी गंगा से हुआ और दूसरा विवाह सत्यवती से। सत्यवती का एक नाम मत्स्यगंधा भी था, क्योंकि उनके शरीर से मछली की गंध आती थी। अधिकांश लोग यही समझते हैं कि सत्यवती केवट यानी नाव चलाने वाले की पुत्री थी, लेकिन ये सच नहीं है। आगे जानिए किसकी बेटी थी सत्यवती और कैसे हुआ था उनका जन्म…

कौन थी सत्यवती, कैसे हुआ उनका जन्म?
महाभारत के अनुसार, ‘किसी समय उपरिचर नाम के एक राजा थे। उनकी पत्नी का नाम गिरिका था। एक बार रानी उनके पास समागम की इच्छा से आई लेकिन राजा उपरिचर शिकार करने जंगल में चले गए। वहां राजा को रानी की सुंदरता का विचार आया जिससे उनका वीर्य स्खलित हो गया। राजा ने वीर्य को पत्ते पर लेकर अभिमंत्रित कर दिया और एक पक्षी (बाज) से पत्नी गिरिका तक उसे पहुंचाने को कहा।
रास्ते में दूसरे पक्षी ने उस बाज पर हमला कर दिया। इस लड़ाई में राजा उपरिचर का वीर्य नदी में गिर गया, जिसे एक मछली ने निगल लिया। कुछ दिनों बाद उस मछली को मछुवारों ने पकड़ लिया और उसका पेट काटने पर उन्हें एक लड़की और एक लड़का मिला। जब ये बात राजा उपरिचर को बता तो उन्होंने लड़के को अपना लिया।
मछली के पेट से निकलने के कारण नवजात लड़की के शरीर से मछली की गंध आती थी, इसलिए राजा ने उसे केवट को सौंप दिया और कहा- ‘तुम इसे अपनी पुत्री समझकर पालना और इसका विवाह क्षत्रिय कुल में करना।’ यही लड़की आगे जाकर सत्यवती के नाम में प्रसिद्ध हुई।



राजा शांतनु को कैसे हुआ सत्यवती से प्रेम?
देवनदी गंगा के जाने के बाद हस्तिनापुर के राजा शांतनु एकदम अकेले हो गए। तब एक दिन जब वे अपने रथ से कही जा रहे थे, तभी उन्हें नदी किनारे सत्यवती दिखाई दी। राजा शांतनु सत्यवती से प्रेम करने लगे। राजा शांतनु ने सत्यवती के पिता केवट से विवाह की इच्छा भी जताई। लेकिन केवट ने कहा ‘यदि सत्यवती की संतान ही हस्तिनापुर का राजगद्दी पर बैठे तो ही इसका विवाह आपके साथ हो सकता है।’ राजा शांतनु ने ऐसा करने से इंकार कर दिया क्योंकि वे गंगापुत्र देवव्रत को अपना युवराज बना चुके थे।

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जब देवव्रत ने ली भीषण प्रतिज्ञा
जब देवव्रत को ये पता चला कि उनके पिता शांतनु एक स्त्री से प्रेम करते हैं और विवाह करना चाहते हैं तो वे खुद केवट के पास गए और पूरी बात जानने के बाद उन्होंने ये प्रतिज्ञा ली कि सत्यवती की संतान ही हस्तिनापुर पर राज करेगी। साथ ही ये भी कहा कि वे जीवन भर ब्रह्मचारी रहकर हस्तिनापुर की रक्षा करेंगे। इसके बाद सत्यवती का विवाह राजा शांतनु से हुआ, जिससे उन्हें चित्रांगद और विचित्रवीर्य नाम के 2 पुत्र हुए। पांडु और धृतराष्ट्र विचित्रवीर्य के ही पुत्र थे।


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इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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