सार
Mysteries of Mahabharata: महाभारत में कईं ऐसे रहस्यमयी पात्र हैं, जिनके बारे में कम ही लोगों को पता है, शिखंडी भी इन पात्रों में से एक है। शिखंडी का जन्म स्त्री रूप में हुआ था, लेकिन बाद में वह पुरुष बन गया। जानें कैसे हुई ये अद्भुत घटना।
Interesting Facts Related To Shikhandi: महाभारत के शिखंडी का नाम तो सभी ने सुना होगा। अधिकांश लोग ये समझते हैं कि शिखंडी किन्नर था लेकिन ऐसा नहीं है। गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित महाभारत ग्रंथ में शिखंडी के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है कि कैसे शिखंडी का जन्म एक स्त्री के रूप में हुआ था और बाद में वो पुरुष बन गया। आगे जानें शिखंडी से जुड़ी रोचक कथा…
जब पितामह भीष्म ने किया अंबा का अपमान
महाभारत के अनुसार, एक बार काशी की राजकुमारियों अंबा, अंबिका और अंबालिका का स्वयंवर हो रहा था। उस स्वयंवर में जाकर भीष्म ने अपने छोटे भाई विचित्रवीर्य के लिए उन तीनों राजकुमारियों को हरण कर लिया। जब अंबा ने भीष्म को बताया कि वह शाल्व कुमार को अपना पति मान चुकी है, तब भीष्म ने उसे जाने दिया। लेकिन हरण कर लिए जाने के कारण शाल्व ने अंबा को स्वीकार नहीं किया। अपने इस अपमान का कारण अंबा ने भीष्म ने माना। अंबा ने प्रतिज्ञा ली कि वो ही भीष्म के अंत का कारण बनेगी।
अगले जन्म में की घोर तपस्या
अंबा अगले जन्म में फिर से कन्या रूप में जन्मीं। इस जन्म में भी उसे भीष्म द्वारा किए गाए अपमान का ज्ञान था। युवा होने पर उसने घोर तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया। महादेव ने वरदान दिया ‘अगले जन्म में तुम भीष्म की मृत्यु का कारण जरूर बनोगी।’ शिवजी से वरदान पाकर अंबा ने इस जन्म में आत्मदाह कर लिया।
अंबा ने लिया तीसरा जन्म
पांचांल देश के राजा द्रुपद की कोई संतान नहीं थी। उन्होंने तपस्या से शिवजी को प्रसन्न कर लिया। शिवजी ने उन्हें वरदान दिया ‘तुम्हारे यहां एक कन्या का जन्म होगा, जो बाद में पुरुष बन जाएगी।’ कुछ समय बाद द्रुपद की पत्नी ने एक कन्या को जन्म दिया लेकिन द्रुपद ने सभी से यही कहा कि उसके यहां पुत्र ने जन्म लिया है। द्रुपद ने उस लड़की का नाम शिखंडी रखा।
शिखंडी के युवा होने पर राजा द्रुपद ने उसका विवाह राजा हिरण्यवर्मा की बेटी से करवा दिया। विवाह के बाद हिरण्यवर्मा की बेटी ने अपने पिता को बता दिया कि उसका विवाह एक पुरुष से नहीं स्त्री से हुआ है। क्रोध में आकर राजा हिरण्यवर्मा ने पांचाल देश पर हमला कर दिया। ये देख शिखंडी घबरा गई और वन में भाग गई। उस वन में स्थूणकर्ण नाम का एक यक्ष रहता था।
स्थूणकर्ण के पूछने पर शिखंडी ने उसे पूरी बात सच-सच बता दी। तब शिखंडी की सहायता के लिए स्थूणकर्ण ने अपना पुरुषत्व उसे दे दिया और उसका स्त्रीत्व स्वयं ले लिया और कहा कि ‘तुम्हारा काम पूरा होने पर तुम मेरा पुरुषत्व मुझे पुन: लौटा देना।’ इस तरह पुरुष के रूप में शिखंडी अपने घर पहुंची तो राजा द्रुपद बहुत प्रसन्न हुए। राजा हिरण्यवर्मा भी अपने नगर लौट गए।
स्थूणकर्ण की बात जब यक्षों के राजा कुबेर को पता चली तो उन्होंने उसे श्राप दे दिया जब तक शिखंडी की मृत्यु नहीं होती, तब तक उसे स्त्री रूप में रहना होगा। इस तरह स्त्री रूप में जन्म लेने के बाद शिखंडी पूर्ण पुरुष बन गई। ये बात पितामह भीष्म जानते थे, इसलिए उन्होंने युद्ध में शिखंडी पर वार नहीं किया। इस तरह तीसरे जन्म में अंबा ने अपने अपमान का बदला भीष्म से लिया।
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