Nagpanchami 2023: हर साल श्रावण मास में नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है। इस बार ये पर्व 21 अगस्त, सोमवार को है। नागपंचमी पर नागदेवता की पूजा करने से सर्प भय से मुक्ति मिलती है।
उज्जैन. इस बार 21 अगस्त, सोमवार को नागपंचमी (Nagpanchami 2023) का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है। हमारे धर्म ग्रंथों में अनेक नागों का वर्णन मिलता है। इनमें से सबसे शक्तिशाली हैं शेषनाग, जिनके हजारों सिर हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन्हीं के मस्तक पर पूरी पृथ्वी टिकी है। सबसे बलशाली होने पर भी ये नागों के राजा नहीं है। आगे जानिए कौन हैं नागों का राजा और कैसे हुई नागों की उत्पत्ति…
कैसे हुई नागों की उत्पत्ति?
महाभारत के अनुसार, प्राचीन समय में कश्यप नाम के एक महान तपस्वी ऋषि थे। उनकी अनेक पत्नियां थीं, उन्हीं में से एक का नाम कद्रू भी थी। कद्रू ने अपने पति महर्षि कश्यप की बहुत सेवा की, प्रसन्न होकर महर्षि कश्यप ने कद्रू को वरदाने मांगने को कहा। कद्रू ने एक हजार तेजस्वी नाग पुत्रों का वरदान मांगा। महर्षि ने वरदान दे दिया, उसी के फलस्वरूप नाग वंश की उत्पत्ति हुई।
नाग पुत्रों में सबसे बड़े थे शेषनाग
माता कद्रू के एक हजार तेजस्वी नाग पुत्र थे। इनमें से सबसे बड़े थे शेषनाग। वे शुरू से ही ईश्वर भक्ति में लगे रहते थे। उन्होंने ब्रह्मदेव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की। प्रसन्न होकर ब्रह्माजी उन्हें वरदान देने आए। तब शेषनाग ने कहा कि मेरी बुद्धि हमेशा भगवान विष्णु की भक्ति में लगी रहे। ब्रह्माजी ने शेषनाग ये वरदान दे दिया और ये भी कहा कि ‘ये सारी पृथ्वी पर्वत, वन, सागर और नगर हिलती-डुलती रहती है, तुम इसे इस प्रकार धारण करो कि ये स्थिर हो जाए। इस तरह ब्रह्माजी के कहने पर शेषनाग पृथ्वी के भीतर घुस गए और पृथ्वी को अपने सिर पर धारण कर लिया।
कौन है नागों का राजा?
जब शेषनाग ईश्वर भक्ति में लग गए तो उनके छोटे भाई वासुकि को नागों का राजा बनाया गया। भगवान शिव में गले में सर्प है, वह वासुकि ही हैं। विभिन्न मंदिरों में नागदेवता के रूप में वासुकि की ही पूजा की जाती है। इनके नाम पर हमारे देश में कई प्राचीन मंदिर भी हैं। आठ प्रमुख नागों में से एक वासुकि भी हैं। इनकी पूजा करने से सर्प भय से मुक्ति मिलती है।
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