Hariyali Teej Katha: इस बार हरियाली तीज का पर्व 19 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। ये व्रत बहुत ही खास है। इस दिन कुंवारी लड़कियां और विवाहित महिलाएं भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं। ये पूजा सुख-समृद्धि के लिए की जाती है।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हरियाली तीज (Hariyali Teej 2023) का पर्व मनाया जाता है। ये तिथि इस बार 19 अगस्त, शनिवार को है। इस दिन कुंवारी कन्याएं अच्छे वर के लिए और विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए महादेव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं। इस व्रत से जुड़ी एक कथा भी है। मान्यता है इस कथा को सुने बिना व्रत का पूरा फल नहीं मिलता (Hariyali Teej Katha)। आगे जानिए इस कथा के बारे में…
जब महादेव ने देवी पार्वती को याद दिलाया पूर्वजन्म
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब देवी सती ने पार्वती के रूप में हिमालय के यहां जन्म लिया, तब एक दिन महादेव ने पार्वती को अपना पूर्व जन्म याद दिलाते हुए कहा कि- पूर्व जन्म में तुमने मुझे पति के रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तप किया था। इसके बाद मैं तुम्हें पति रूप में प्राप्त हुआ था।
जब नारद ने लाए प्रस्ताव
महादेव ने बताया कि ‘एक दिन नारद मुनि तुम्हारे पिता से मिलने आए और उन्होंने कहा कि ‘मैं भगवान विष्णु के कहने पर यहां आया हूं, स्वयं भगवान आपकी कन्या पार्वती से विवाह करना चाहते हैं।’ नारद जी की बात सुनकर पर्वतराज बहुत खुश हुए और उन्होंने तुरंत इस प्रस्ताव को मान लिया। शादी के इस प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया।
सखी ने दी तप करने की सलाह
भोलेनाथ ने कथा सुनाते हुए कहा कि‘ जब पर्वतराज ने ये बात तुम्हें बताई तो तुम बहुत दुखी हुईं। तब तुम्हारी सखी ने ये तुम्हें जंगल में तपस्या करने की सलाह दी। सखी के कहने पर पर तुमने मुझे पति रूप में पाने के लिए गुफा के अंदर रेत का शिवलिंग बनाकर तपस्या शुरू कर दी। तुम्हारे पिता काफी प्रयास के बाद भी तुम्हें ढूंढ नहीं पाए।
जब दिए महादेव ने दर्शन
महादेव ने बताया कि ‘तुम्हारी तपस्या के प्रसन्न होकर सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मैंने तुम्हें दर्शन दिए और तुम्हारी मनोकामना को पूरा करने का वचन देते हुए तुम्हें पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इसके बाद तुम्हारे पिता भी तुम्हें ढूंढते हुए वहां आ गए। तुमने विवाद संबंधी बात अपने पिता को बताई।
इसलिए खास है हरियाली तीज
महादेव ने बताया कि ’तुम्हारे हठ के आगे पिता हिमालय की एक भी नहीं चली और उन्हें तुम्हारी बात मान ली। ये सब तुम्हारे कठोर तप की वजह से ही संभव हो पाया। इसलिए जो भी सावन शुक्ल तृतीया तिथि पर विधि विधान से मेरी-तुम्हारी पूजा करता है उसके वैवाहिक जीवन के सारे संकट दूर हो जाते हैं और कुंवारी कन्याओं को मनचाहा पति प्राप्त होता है।
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