
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पहले दिन धुरेड़ी पर्व मनाया जाता है, जिसे होली भी कहते हैं। ये हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दौरान लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर शुभकामनाएं देते हैं। (Traditions Of Holi) इस बार होली पर्व 8 मार्च, बुधवार को मनाया जाएगा। होली (Holi 2023) एक ऐसा उत्सव है जो देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न परंपराओं के साथ मनाया जाता है। होली की कुछ ऐसी ही अनूठी परंपराओं के बारे में आज हम आपको बता रहे हैं…
वैसे तो होली रंग-गुलाल का त्योहार है, लेकिन उत्तर प्रदेश के बरसाना में इस दिन लट्ठ चलाए जाते हैं। इसे लट्ठमार होली कहा जाता है। ये होली देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी काफी प्रसिद्ध है। लट्ठमार होली में महिलाएं डंडों से पुरुषों को पीटती हैं और पुरुष ढाल से खुद को बचाते हुए महिलाएं को रंग लगाते हैं। ये सब हंसी-खुशी के माहौल में होता है। इस परंपरा को भगवान श्रीकृष्ण और राधा से जोड़कर देखा जाता है।
दक्षिण भारत के राज्य आंध्र प्रदेश में होली का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है, इसे 'मेदुरु होली' कहते हैं। इस दिन यहां के लोग परंपरागत रूप से जुलूस निकालते हैं और संगीत की धून पर नाचते हुए एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के भक्ति गीत विशेष रूप से बजाए जाते हैं। ये यहां की एक परंपरा है।
उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र होली के मौके पर संगीत की महफिलें सजती हैं। इन महफिलों में फागुन और होली के गीत गाए जाते हैं। इसे गीत बैठकी कहा जाता है। यहां की लोक परंपरा के अनुसार, होली पर गुलाल का टीका लगाया जाता और खड़ी होली गायन के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत के सुर भी छेड़े जाते हैं। उत्तराखंड की ये परंपरा अपने आप में अनूठी है।
उदयपुर राजा-रजवाड़ों का शहर है। यहां होली के मौके पर भी कई शाही परंपराएं देखने को मिलती हैं। उदयपुर में सबसे पहले शाही परिवार, जिनका कभी यहां राज हुआ करता था, होली मनाता है। इस मौके पर होलिका दहन के दूसरे दिन शाही बैंड के साथ एक भव्य जुलूस निकाला जाता है जिसमें शाही झलक देखने को मिलती है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।
गोवा में भी होली का पर्व बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस मौके पर एक खास कार्निवल यानी जुलूस निकाला जाता है। गोवा एक तटीय राज्य है जहाँ मछली पकड़ना आय का मुख्य स्रोत है। इसलिए, होली के मौके पर मछुआरों की नावों को पौराणिक और धार्मिक विषयों के साथ रंगीन ढंग से सजाया जाता है। रंगों के साथ खेलने के अलावा यह पर्व पारंपरिक लोक गीतों और नृत्य के साथ मनाने की पंरपरा है।
बंगाल भी होली के त्योहार से अछूता नहीं है। यहां होली के मौके पर रंग-गुलाल तो लगाया ही जाता है, साथ ही धार्मिक जुलूस भी निकालते हैं जिसे दोल जात्रा या दोल उत्सव कहते हैं। इस मौके पर महिलाएं सामूहिक रूप से पारंपरिक वस्त्र पहनकर शंख बजाते हुए चलती हैं और भगवान श्रीकृष्ण व राधा की भक्ति गीत भी गाती हैं।
पंजाब में होली का पर्व हर्षोल्लास के साथ-साथ शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी मनाया जाता है। इसे होला मोहल्ला कहा जाता है। सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान श्री आनन्दपुर साहिब में ये उत्सव 6 दिन तक चलता है। इस मौके पर निहंग घोड़ों पर सवार होकर हैरतअंगेज करतब दिखाते हैं।
ये भी पढ़ें-
Holi 2023: ये रंग कहेंगे आपके दिल की बात, कौन-सा रंग लगाएं पत्नी, दोस्त या अपनी प्रेमिका को?
Holi 2023: कहां प्रकट हुए थे भगवान नृसिंह, कहां मनाई गई थी सबसे पहले होली? 1 नहीं 3 जगहों से जुड़ी हैं ये मान्यता
Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।