Gita Jayanti 2024: हर साल अगहन मास में गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। सोचने वाली बात ये है कि हिंदू धर्म में अनेक पूजनीय ग्रंथ हैं, लेकिन सिर्फ श्रीमद्भागवत गीता की ही जयंती क्यों मनाते हैं? आगे जानिए इसका कारण।
Gita Jayanti 2024 Kab Hai: हिंदू धर्म में 18 पुराणों के अलावा और भी कई महान ग्रंथ हैं जैसे वाल्मीकि रामायण, रामचरित मानस, गीता और महाभारत आदि। लेकिन इन सभी में से सिर्फ श्रीमद्भागवत गीता की ही जयंती हर साल अगहन मास में मनाई जाती है। सुनने में बात थोड़ी अजीब लगे, लेकिन ये सच है। बहुत कम लोग इसके पीछे की वजह जानते हैं। आगे जानिए इतने सारे ग्रंथ, पुराणों में से सिर्फ गीता की ही जयंती क्यों मनाते हैं…
गीता जयंती का पर्व हर साल अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 11 दिसंबर, बुधवार को है। इस दिन वरियान और परिघ नाम के 2 शुभ योग दिन भर रहेंगे, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन सूर्य और बुध वृश्चिक राशि में रहेंगे, जिससे बुधादित्य नाम का राजयोग बनेगा।
श्रीमद्भागवत गीता महाभारत का ही एक हिस्सा है। जब कौरवों और पांडवों की सेना युद्ध के लिए आमने-सामने आ खड़ी हुई तो अर्जुन के मन में अपने सगे-संबंधियों को देखकर विषाद उत्पन्न हो गया। उस स्थिति में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया और कर्म करने के लिए प्रेरित किया। उस दिन अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि थी। इसी तिथि पर आज भी गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है।
वैसे तो हिंदुओं में अनेक ग्रंथों की मान्यता है, जिनमें 18 पुराण, वाल्मीकि रामायण, रामचरित और महाभारत आदि प्रमुख हैं। लेकिन इन सभी में सिर्फ गीता की ही जयंती मनाई जाती है। इसका कारण है कि गीता को छोड़कर अन्य सभी ग्रंथ किसी न किसी ऋषि द्वारा लिखे गए हैं, लेकिन सिर्फ गीता ही है जिसका उपदेश स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने दिया है। इसलिए अन्य ग्रंथों की अपेक्षा गीता का विशेष महत्व है और इसी की जयंती मनाई जाती है। गीता जयंती के दिन ही मोक्षदा एकादशी का व्रत भी किया जाता है।
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