वास्तु शास्त्र के अनुसार, हमारी दैनिक गतिविधियां और उनके तरीके हमारे जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। इसमें भोजन बनाने और परोसने के तरीके भी शामिल हैं। रोटी बेलने के स्थान और प्रक्रिया को लेकर भी कुछ वास्तु-सिद्धांत होते हैं। जैसे कि बहुत से लोग रोटी बेलने के लिए चकले का उपयोग करते हैं, तो वहीं ऐसे भी बहुत से लोग हैं, जो रोटी को चकले से नहीं बल्कि डायरेक्ट स्लैब में बेलते हैं। चलिए जानते हैं हमारे वास्तु एक्सपर्ट शिवम पाठक से कि स्लैब पर रोटी बेलना कितना सही या गलत। इसके पीछे का तर्क क्या है, चलिए जानते हैं विस्तार से...
वास्तु के अनुसार स्लैब पर रोटी बेलना सही या गलत
वास्तु के अनुसार रसोई में रोटी, पराठा बेलने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला चकला और बेलन को सुख और समृद्धि का कारक माना गया है। चकला और बेलन का संबंध राहु और केतु से भी माना गया है। इस लिए जिस तरह से घर में चकला और बेलन होगा उसी तरह से घर में इसका ग्रह-दोष का प्रभाव भी पड़ेगा। इस कारण वास्तु में चकला और बेलन खरीदने से जुड़े वास्तु नियम है, जिसके अनुसार ही घर में चकला और बेलन खरीदना चाहिए। वास्तु शास्त्र में यह कहा गया है कि रोटी बेलते वक्त चकला और बेलन का इस्तेमाल करने से घर की तरक्की होती है और वास्तु दोष नहीं लगता।
इसके अलावा चकला और बेलन को लेकर यह भी कहा गया है कि यदि बिना चकले के रोटी बेली जाए, तो इससे कई तरह की बाधाएं, वास्तु दोष उत्पन्न होती है। इससे वास्तु दोष लगता है, धन हानि होती है, घर के सुख-समृद्धि में बाधा उत्पन्न होत है और अन्नपूर्णा माता नाराज होती हैं। इसके अलावा वास्तु में यह भी कहा गया है कि बिना चकले के सीधा स्लैब में बेलने से घर में दरिद्रता आती है, राहु और केतु का दुष्प्रभाव बढ़ जाता है। इसलिए वास्तु के अनुसार स्लैब पर सीधा रोटी नहीं बेलना चाहिए।
स्लैब पर रोटी बेलते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
1. साफ-सफाई का महत्व
वास्तु शास्त्र में सफाई और स्वच्छता को महत्वपूर्ण माना गया है। रसोई घर में जहां खाना बनाया जाता है, वहां साफ-सफाई का ध्यान रखना जरूरी है। स्लैब पर रोटी बेलना तभी सही माना जाता है जब वह पूरी तरह से साफ-सुथरा हो। यदि स्लैब गंदा या अव्यवस्थित है, तो इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है, जो स्वास्थ्य और समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
2. स्लैब की दिशा
वास्तु के अनुसार, रसोई में कार्य करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके काम करना सबसे अच्छा माना जाता है। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती है। यदि स्लैब ऐसी दिशा में है, जो वास्तु के अनुसार अनुकूल नहीं है, तो यह नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है। ऐसे में इस दिशा के स्लैब में रोटी भूलकर भी न बेलें।
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3. चकला कैसा हो
पारंपरिक भारतीय घरों में रोटी बेलने का काम अक्सर एक छोटी चौकी पर या मिट्टी के बने स्थान पर किया जाता था। माना जाता है कि मिट्टी या लकड़ी से बनी चौकी प्राकृतिक तत्वों से जुड़ी होती है, जो सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखती है। स्लैब, विशेष रूप से अगर वह पत्थर का बना हो, तो यह प्राकृतिक तत्वों से उतना जुड़ा नहीं माना जाता, जिससे कुछ लोग इसे वास्तु के अनुसार कम अनुकूल मानते हैं।
4. सुख-समृद्धि पर प्रभाव
वास्तु शास्त्र यह भी मानता है कि यदि भोजन तैयार करते समय वातावरण और विधि सही न हो, तो यह घर के सदस्यों के स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। स्लैब पर रोटी बेलने से जुड़े विचार अलग-अलग होते हैं, लेकिन यह माना जाता है कि यदि सब कुछ स्वच्छ और व्यवस्थित है, तो नकारात्मक प्रभाव कम हो सकते हैं।
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स्लैब पर रोटी बेलते वक्त इन वास्तु उपायों का रखें खास ध्यान