
Bihar Election 2025: राजनीति की हलचलें भले तेज हों, लेकिन आज बिहार का माहौल कुछ और ही कहानी कहता दिख रहा है। सुबह से जारी काउंटिंग ने जैसे-जैसे गति पकड़ी, वैसे-वैसे यह साफ होने लगा कि बिहार की जनता एक बार फिर स्थिरता, विकास और अनुभवी नेतृत्व पर भरोसा जता रही है। जहां एक तरफ महागठबंधन उम्मीद की डोर थामे खड़ा है, वहीं दूसरी ओर एनडीए की बढ़त एक निर्णायक बदलाव का संकेत दे रही है।
पटना से मिली जानकारी के अनुसार, 2025 विधानसभा चुनाव के ताजा रुझानों में एनडीए 203 सीटों पर आगे चल रही है। यह वही आंकड़ा है, जिसके करीब एनडीए 2010 में 206 सीटों के ऐतिहासिक प्रदर्शन के साथ पहुंचा था। इस बार भी भाजपा और जदयू का प्रदर्शन उम्मीदों से कहीं आगे दिख रहा है।
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चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक:
वहीं विपक्ष की बात करें तो:
इस चुनाव को नीतीश कुमार के लिए एक ‘परीक्षा’ माना जा रहा था। पिछले कुछ वर्षों में उन्हें बदलती राजनीतिक समीकरणों, थकान और विपक्ष के आरोपों का सामना करना पड़ा। लेकिन आज के रुझान फिर साबित कर रहे हैं कि जमीन पर उनकी पकड़ ढीली नहीं हुई है।
कभी ‘सुशासन बाबू’ के नाम से मशहूर नीतीश कुमार ने बिहार को जंगलराज की छवि से बाहर निकालने का जो वादा किया था, उसे जनता आज फिर स्वीकार करती दिख रही है।
इस बार भाजपा-जदयू गठबंधन पहले से अधिक मजबूत और संगठित नजर आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और नीतीश कुमार की जमीनी समझ ने मिलकर गठबंधन को धार दी। मोदी–नीतीश ने अपने प्रचार में विकास, कानून-व्यवस्था, सामाजिक सुरक्षा, महिलाओं के सशक्तिकरण और गांव-गांव तक सरकारी योजनाओं के लाभ पहुंचाने को सबसे आगे रखा। NDA नेताओं का तर्क है कि बिहार की जनता ने इस बार भी स्थिरता के लिए वोट दिया।
एनडीए ने इस बार चुनाव प्रक्रिया को लेकर भी एक बड़ा दावा किया है। पिछले कई दशकों से बिहार के चुनाव हिंसा, धमकियों और पुनर्मतदान से जुड़े रहे हैं:
लेकिन 2025 विधानसभा चुनाव में: ना रिपोल, ना हिंसा यह NDA इसे बेहतर कानून व्यवस्था की उपलब्धि मान रहा है।
लोकसभा चुनावों में 2014, 2019 और 2024… विधानसभा में 2020 और अब 2025— बिहार एक पैटर्न दोहरा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह जनता के स्पष्ट संदेश का परिणाम है: विकास पर वोट, अस्थिरता को इंकार।
INDI गठबंधन पर NDA ने यह आरोप लगाया कि उन्होंने बिहार की सांस्कृतिक अस्मिता का अनादर किया। चछठ पूजा पर टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी पर निशाना साधा गया, जबकि NDA ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा छठ पर्व को UNESCO की Intangible Heritage List में शामिल करवाने के प्रयासों को प्रमुखता से प्रचारित किया।
जेपी आंदोलन से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले नीतीश कुमार ने सत्येंद्र नारायण सिन्हा, राममनोहर लोहिया, वीपी सिंह और कर्पूरी ठाकुर जैसे नेताओं से सीखा। उनकी राजनीतिक शैली—संतुलन, विकास और सामाजिक समावेश—ने उन्हें अब भी लोकप्रिय बनाए रखा है। महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण सड़कें, छात्रवृत्तियां, साइकिल योजना और वृद्धावस्था पेंशन जैसे फैसलों ने नीतीश को वोटों का स्थायी आधार दिया है।
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