बिहार चुनाव रुझानों में एनडीए 190 सीटों पर बढ़त बनाकर सरकार की ओर बढ़ रहा है। महागठबंधन सिर्फ 49 सीटों पर आगे। वहीं अखिलेश यादव ने चुनावी खेल का आरोप लगाते हुए भाजपा पर बड़ा हमला बोला। पढ़ें पूरी अपडेट।

बिहार में विधानसभा चुनाव के नतीजों की दिशा मंगलवार सुबह से ही साफ होने लगी है। शुरुआती रुझानों ने जैसे ही गति पकड़ी, राजनीतिक माहौल एकदम बदल गया। राजधानी पटना से लेकर पूरे राज्य में चर्चा का विषय सिर्फ एक है, क्या बिहार एक बार फिर एनडीए की सरकार बनाने जा रहा है? रुझान बताते हैं कि तस्वीर लगातार एनडीए के पक्ष में झुकती दिख रही है।

एनडीए की जबरदस्त बढ़त, महागठबंधन हुआ पीछे

ताजा रुझानों में एनडीए 190 सीटों पर आगे है। इसके मुकाबले महागठबंधन सिर्फ 49 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। इतना बड़ा अंतर विपक्षी गठबंधन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। रुझानों के आधार पर साफ दिख रहा है कि नीतीश कुमार–भाजपा गठबंधन एक बार फिर सत्ता में मजबूत वापसी की ओर बढ़ रहा है।

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अखिलेश यादव ने लगाया चुनावी खेल का आरोप

इन रुझानों के बीच समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर एक तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने पोस्ट में आरोप लगाया कि-

"बिहार में जो खेल SIR ने किया है वो बंगाल, तमिलनाडु, यूपी और बाकी जगह अब नहीं हो पाएगा। इस चुनावी साजिश का भंडाफोड़ हो चुका है। अब हमारा ‘PPTV’ यानी ‘पीडीए प्रहरी’ भाजपाई मंसूबों को नाकाम करेगा। भाजपा दल नहीं, छल है।"

अखिलेश का यह बयान चुनावी माहौल में नई गर्मी लेकर आया है। उनके आरोपों ने बहस छेड़ दी है कि क्या महागठबंधन अपनी कमजोर होती स्थिति से चिंतित है या आरोपों के पीछे कोई और राजनीतिक रणनीति है।

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किसके खाते में कितनी सीटें?

अब तक के रुझानों में पार्टियों का प्रदर्शन इस प्रकार है

  • भारतीय जनता पार्टी (BJP): 82 सीटों पर आगे
  • जनता दल (यूनाइटेड) JDU: 75 सीटों पर आगे
  • राष्ट्रीय जनता दल (RJD): 62 सीटों पर आगे
  • कांग्रेस: 12 सीटों पर आगे
  • लेफ्ट: 2 सीटों पर आगे
  • VIP पार्टी: 1 सीट पर आगे

रुझान बताते हैं कि महागठबंधन को सबसे बड़ा झटका कांग्रेस की सीटों पर लगा है, जहां गिरावट स्पष्ट दिख रही है।

बिहार की राजनीति में नया मोड़

रुझान अंतिम परिणामों में बदलते हैं या नहीं, यह आने वाले घंटों में स्पष्ट होगा, पर इतना तय है कि बिहार की राजनीति में आज का दिन ऐतिहासिक मोड़ लेकर आया है। एनडीए की बढ़त सिर्फ सीटों का आंकड़ा नहीं, बल्कि अगले पांच वर्षों की राजनीतिक दिशा भी तय कर सकती है।

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