शराब नीति से दिल्ली को हुआ 2026 करोड़ का नुकसान, नड्डा बोले- नशे में चूर है AAP

Published : Jan 11, 2025, 02:23 PM ISTUpdated : Jan 11, 2025, 02:32 PM IST
Arvind Kejriwal

सार

कैग रिपोर्ट में खुलासा, दिल्ली की नई शराब नीति से सरकार को 2026 करोड़ का नुकसान। भाजपा ने केजरीवाल सरकार पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप। क्या होगी AAP की सफाई?

नई दिल्ली। कैग (Comptroller and Auditor General) की लीक हुई रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में नई शराब नीति लाने और इसे लागू करने में गड़बड़ी के चलते राज्य सरकार को 2026 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। घोटाले के आरोप लगाने के बाद दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति को रद्द कर दिया था और पुरानी नीति लागू की थी।

जेपी नड्डा बोले- खुल गई AAP की पोल

कैग की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर तीखा हमला किया है। उन्होंने X पर पोस्ट कर कहा कि आम आदमी पार्टी के लोग सत्ता के नशे में चूर और कुशासन में मस्त हैं। यह सामने आ गया है कि शराब जैसी चीज पर उन्होंने कैसे लूट मचाई। बस कुछ ही हफ्तों की बात है जब उन्हें वोट देकर सत्ता से बाहर कर दिया जाएगा। उन्हें उनके कुकर्मों की सजा मिलेगी। 'शराबबंदी' पर सीएजी की रिपोर्ट ने अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी सरकार की पोल खोल दी है। नीति लागू करने में जानबूझकर गलती की गई, जिससे खजाने को 2026 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

कैबिनेट या उपराज्यपाल की मंजूरी लिए बिना लागू की थी नई शराब नीति

दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने नवंबर 2021 में नई शराब नीति लागू की थी। कहा गया था कि इसका लक्ष्य शराब की खुदरा बिक्री को बेहतर बनाना और राजस्व बढ़ाना है। भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे तो मामले की जांच ईडी और सीबीआई ने की। इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और संजय सिंह समेत आप के कई नेताओं को जेल जाना पड़ा।

कैग ने बताया है कि शिकायतों के बाद भी सभी कंपनियों को बोली लगाने की अनुमति दी गई। उनकी वित्तीय स्थिति की जांच नहीं की गई। घाटा बताने वाली कंपनियों को भी बोली लगाने दिया गया। उनके लाइसेंस रिन्यू कर दिए गए। नई शराब नीति से संबंधित प्रमुख फैसले कैबिनेट या उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना लिए गए। नए नियमों को विधानसभा में पेश नहीं किया गया।

कैसे हुआ सरकार का राजस्य घाटा?

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ खुदरा विक्रेताओं ने नीति की समाप्ति तक अपने लाइसेंस बनाए रखे। कुछ ने अवधि समाप्त होने से पहले ही उन्हें सरेंडर कर दिया। सरेंडर किए गए खुदरा लाइसेंसों के फिर से टेंडर न किए जाने के कारण सरकार को 890 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। क्षेत्रीय लाइसेंसधारियों को दी गई छूट के कारण 941 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इसके अलावा कोविड प्रतिबंधों के नाम पर क्षेत्रीय लाइसेंसधारियों के लिए लाइसेंस शुल्क में 144 करोड़ रुपए की छूट दी गई।

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