सार
पूर्वांचली वोटर्स को लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच तनातनी देखने को मिल रही है। जानिए क्यों पूर्वांचल वोटर्स के लिए दोनों पार्टियां आपस में लड़ रही है।
नई दिल्ली। दिल्ली चुनाव 5 फरवरी के दिन होने जा रहे हैं। 8 फरवरी को इसके रिजल्ट की अनाउंसमेंट हो जाएगी। इन सबके बीच पूर्वांचली वोटर्स को लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच तनातनी देखने को मिल रही है। बीजेपी ने आप पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ जमकर हमला बोला है। बीजेपी के नेता मनोज तिवारी के नेतृत्व में पार्टी के कई समर्थक अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। अब सवाल यहां ये उठाता है कि आखिरी दिल्ली चुनाव में पूर्वांचल के वोटर्स कैसे और किस तरह से अहम भूमिका निभाने वाले हैं।
दिल्ली में 24 फीसदी पूर्वांचल के वोटर मौजूद हैं। उनकी जनसंख्या करीब 40 लाख के आसपास है। इसका मतलब ये कि दिल्ली चुनाव पर वो सीधे तौर पर असर डाल सकते हैं। किसी भी उम्मीदवार की हार और जीत में वो अहम योगदान दे सकते हैं। यहीं वजह है कि सभी पार्टियों पूर्वांचल वोटर्स को लुभाने में लगी हुई है। इसके अंदर पूर्वी भाग यानी बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोग आते हैं। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 17 विधानसभा सीटों में पूर्वांचल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। 2015 औऱ 2020 में जो विधानसभा के चुनाव हुए थे उसमें आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया था, जिसकी वजह से पार्टी ने जीत हासिल की थी। दिल्ली में 1797 कच्ची कॉलोनियां है और उनमें रहने वाले 80 से 90 फीसद लोग पूर्वांचल समाज के हैं।
इसीलिए पूर्वांचल वोटर्स को नहीं जाने देगी AAP
दिल्ली चुनाव आयोग के एक ड्राफ्ट के मुताबिक दिल्ली की कुल 1.52 वोटर्स हैं जिनमें 40 से 42 लाख वोटर्स पूर्वांचल से ताल्लुक रखते हैं। यहीं वजह है कि आम आदमी पार्टी इन वोटर्स को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती है। वहीं, बीजेपी इस बार इन वोटर्स को अपने खेम में लेना चाहती है। अब देखना ये होगा कि आने वाले वक्त में किसकी होगी जीत और किसकी होगी हार?
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