जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में सिंथन फेस्टिवल में पहुंचे हजारों लोग, ऑफबीट टूरिस्ट स्पॉट को बढ़ावा देने एक अनूठी पहल

किश्तवाड़ के अछूते पर्यटन स्थलों को सामने लाने के उद्देश्य से अब तक का पहले दो दिवसीय सिंथन महोत्सव(Sinthan festival) का रविवार को समापन हुआ। रविवार को 15,000 से अधिक पर्यटक उत्साहजनक रूप से इसमें शामिल हुए। 

Contributor Asianet | Published : May 1, 2023 12:43 AM IST / Updated: May 01 2023, 06:15 AM IST

जम्मू. किश्तवाड़ के अछूते पर्यटन स्थलों को सामने लाने के उद्देश्य से अब तक का पहले दो दिवसीय सिंथन महोत्सव(Sinthan festival) का रविवार को समापन हुआ। रविवार को 15,000 से अधिक पर्यटक उत्साहजनक रूप से इसमें शामिल हुए। महोत्सव का आयोजन पर्यटन निदेशालय, जम्मू ने किश्तवाड़ प्रशासन, भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी के सहयोग से किया था।

सिंथन फेस्टिवल में पर्यटकों ने उल्लास के साथ पैराग्लाइडिंग एक्टिविटीज, रस्साकशी, और अन्य गतिविधियों में भाग लिया। यह आयोजन शनिवार और रविवार को हुआ। एक अधिकारी ने कहा कि इस आयोजन में पर्यटकों ने वकार खान, शुभम शिवा, जाहिदा तरन्नुम और अन्य स्थानीय स्टार कलाकारों के लाइव प्रदर्शन का भी आनंद मिला। किश्तवाड़ से कश्मीर के लिए बर्फ से ढके प्रवेश द्वार यानी सिंथन में शनिवार को 4,000 लोगों और रविवार को 12,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया।

किश्तवाड़ के उपायुक्त देवांश यादव के अनुसार, इस उत्सव में एक 'किश्तवाड़ आइडल' कार्यक्रम, एक इंटर कॉलेज नृत्य प्रतियोगिता, साथ ही एक गायन प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसने स्थानीय प्रतिभाशाली गायकों और कलाकारों को एक मंच प्रदान किया।

किश्तवाड़ डीसी ने कहा कि इस आयोजन ने जम्मू-कश्मीर और राष्ट्रीय पर्यटन सर्किट में लहर पैदा कर दी है। उम्मीद है कि इस तरह के और आयोजन जिले में होंगे, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता, साहसिक खेल क्षमता और इसकी स्थानीय प्रतिभा के लिए पहचान दिलाने में मदद कर सकते हैं। यादव ने कहा, "किश्तवाड़ में अपार पर्यटन क्षमता है, जिसका दोहन करने की जरूरत है।"

संयुक्त निदेशक पर्यटन, जम्मू, सुनैना शर्मा ने जम्मू संभाग के ऑफबीट पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा की गई पहलों के बारे में विस्तार से बताया।

उन्होंने कहा, "विभाग का ध्यान ग्रामीण, फिल्म और साहसिक पर्यटन के साथ-साथ ऑफबीट स्थलों को बढ़ावा देना है, ताकि स्थानीय आजीविका के अवसरों का अच्छी तरह से दोहन किया जा सके।"

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