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'गलवान हीरो' दीपक सिंह की पत्नी को मिली उसी जगह पोस्टिंग, जहां हुए थे कुर्बान, पति का सपना पूरा करने टीचिंग छोड़ बनीं सैनिक
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नई दिल्ली. 'गलवान हीरो' स्वर्गीय दीपक सिंह की पत्नी कैडेट रेखा सिंह को शनिवार को चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से ट्रेनिंग पूरी करने के बाद एक अधिकारी के रूप में भारतीय सेना में शामिल किया गया है। उनकी पहली पोस्टिंग लद्दाख में है, वही कमान जिसके तहत उनके पति ने सर्वोच्च बलिदान दिया था। मप्र के रीवा के रहने वाले लांस नायक दीपक सिंह गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। रेखा गर्वनमेंट टीचर थीं, लेकिन अपने पति का सपना पूरा करने उन्होंने इंडियन आर्मी में जाने का फैसला किया था। अब वे भी सेना में लेफ्टिनेंट बन गई हैं।
रेखा के अलावा सेना ने शनिवार को आर्टिलरी रेजीमेंट में महिला अधिकारियों के अपने पहले सेट को भी शामिल किया। सेना के सूत्रों ने कहा कि लेफ्टिनेंट सिंह को आयुध कोर में नियुक्त किया गया है।
दीपक को देश के तीसरे सबसे बड़े युद्धकालीन पुरस्कार वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। जब वो शहीद हुए, तब उनकी रेखा से शादी को महज 15 महीने हुए थे।
बता दें कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के साथ 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में झड़प हुई थी। इसमें 20 भारतीय सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
सेना के सूत्रों ने कहा कि लेफ्टिनेंट रेखा सिंह को आयुध कोर(Regiment of Artillery) में नियुक्त किया गया है। हालांकि रेखा पहले प्रयास में एंट्रेस एग्जाम क्लियर नहीं कर पाई थीं, लेकिन दूसरे प्रयास में पास हो गईं। रेखा सहित पांच महिला अधिकारी ट्रेनिंग पूरी करके आर्टिलरी रेजिमेंट में शामिल हुई हैं।
इन युवा अधिकारियों को सभी प्रकार की आर्टिलरी इकाइयों में तैनात किया जा रहा है, जहां उन्हें चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में रॉकेट, मीडियम, फील्ड और सर्विलांस एंड टारगेट एक्विजिशन (SATA) और उपकरणों को संभालने के लिए पर्याप्त ट्रेनिंग और एक्सपोजर मिलेगा।
लेफ्टिनेंट महक सैनी को एक SATA रेजिमेंट में, लेफ्टिनेंट साक्षी दुबे और लेफ्टिनेंट अदिति यादव को फील्ड रेजिमेंट में, लेफ्टिनेंट पवित्र मुदगिल को एक मीडियम रेजिमेंट में और लेफ्टिनेंट आकांक्षा को एक रॉकेट रेजिमेंट में कमीशन किया गया है।
इस साल जनवरी में सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने तोपखाने में महिला अधिकारियों को कमीशन देने के फैसले की घोषणा की थी, जिसे बाद में केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी थी। (तस्वीर शहीद दीपक सिंह)