अननैचुरल सेक्स Wife के साथ बलात्कार नहीं, MP हाईकोर्ट ने खारिज की एफआईआर

कई महिलाएं अपने पति के खिलाफ अननैचुरल सेक्स का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराती हैं। ताकि उसके पति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। लेकिन मध्यप्रदेश की जबलपुर हाईकोर्ट ने ऐसा फैसला दिया है। जिससे ऐसे आरोप लगाने वाली महिलाओं के जुबान पर ताला लग गया है।

जबलपुर. मध्यप्रदेश में एक महिला द्वारा अपने पति के खिलाफ अननैचुरल सेक्स सहित अन्य आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर खंडपीठ ने पत्नी द्वारा पति के खिलाफ की गई अननैचुरल सेक्स की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।

हाईकोर्ट ने कही ये बात

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हाईकोर्ट ने पत्नी द्वारा कराई गई एफआईआर पर बोलते हुए कहा कि यदि एक पत्नी वैध विवाह के दौरान अपने पति के साथ रह रही है। तो पति द्वारा पत्नी के साथ किया गया संभोग बलात्कार नहीं होगा। हाईकोर्ट ने कहा कि कानून की इस स्थिति का एकमात्र अपवाद आईपीसी की धारा 376 बी है। जिसमें ज्यूडिशियल सेपरेशन या वैसे ही अलग रहने के दौरान अपनी ही पत्नी के साथ किया गया यौन कृत्य बलात्कार होगा।

2023 में लगाया था पत्नी ने केस

दरअसल एमी के नरसिंहपुर में पत्नी ने अपने ही पति पर 2023 में अननैचुरल सेक्स की एफआईआर दर्ज करवाई थी जिसमें आईपीसी की धारा 377 और 506 के तहत पति के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। जिस पर पति ने पत्नी की एफआईआर को हाईकोर्ट में जस्टिस अहलूवालिया की बैंच में चुनौती दी थी। इस मामले में पति और ससुराल वालों पर पत्नी दहेज प्रताड़ना का केस भी लगा चुकी है। जिसमें कोर्ट ने पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई अननैचुरल सेक्स की एफआईआर को खारिज कर दिया है।

4 साल से अलग रह रहे पति पत्नी

बताया जा रहा है कि 2019 में दोनों की शादी हुई थी। लेकिन शादी के बाद से ही दोनों पति पत्नी के बीच विवाद चल रहा है। इस कारण दोनों पिछले चार साल से अलग रह रहे हैं।

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मैरिटल रैप अपराध नहीं

हाईकोर्ट द्वारा कहा गया कि पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ अप्राकृतिक सेक्स सहित किया गया कोई अन्य यौन संबंध बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है। ऐसे मामले में पत्नी की सहमति महत्वहीन है। कोर्ट ने कहा कि मैरिटल रैप को भारत में अपराध नहीं माना गया है। ​जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की बेंच ने कहा कि एक पति द्वारा अपनी पत्नी जो 15 साल से कम उम्र की नहीं हो के साथ कोई भी संभोग या यौन संबंध बनाया जाता है। तो वह बलात्कार नहीं होगा। इस मामले में सिंगल जज बेंच ने कहा कि किसी महिला के गुदा में लिंग का प्रवेश बलात्कार की परिभाषा में शामिल किया गया है। लेकिन पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ कोई भी संभोग या यौन कृत्य बलात्कार नहीं है। इन परिस्थतियों में अप्राकृतिक कृत्य के लिए पत्नी की सहमति न होने से उसका महत्व समाप्त हो जाता है।

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