महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के मामले में स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट चेतन पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया है। पाटिल ने पहले तो खुद के प्रतिमा के निर्माण में शामिल होने से इनकार किया था, लेकिन बाद में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के मामले में प्राथमिकी में नामित स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट चेतन पाटिल को कोल्हापुर में गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने शुक्रवार (30 अगस्त) को यह जानकारी दी। कोल्हापुर के पुलिस अधीक्षक महेंद्र पंडित ने पुष्टि की कि पाटिल को गुरुवार देर रात गिरफ्तार किया गया और आगे की जांच के लिए सिंधुदुर्ग पुलिस को सौंप दिया गया।
कोल्हापुर निवासी पाटिल ने पहले तो खुद के प्रतिमा के स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट होने से इनकार किया था। एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के माध्यम से भारतीय नौसेना को प्लेटफॉर्म का डिज़ाइन तो सौंपा था, लेकिन वह प्रतिमा के निर्माण में शामिल नहीं थे। उन्होंने यह भी कहा कि ठाणे की एक कंपनी ने प्रतिमा से जुड़े काम को अंजाम दिया था, उनकी भूमिका केवल प्लेटफॉर्म तक ही सीमित थी।
पिछले साल नौसेना दिवस (4 दिसंबर) पर सिंधुदुर्ग के मालवन तहसील में राजकोट किले में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनावरण की गई 17 वीं शताब्दी के मराठा योद्धा राजा की 35 फुट ऊंची प्रतिमा सोमवार को दोपहर करीब 1 बजे गिर गई, जिससे बड़े पैमाने पर विवाद और आलोचना हुई।
पाटिल के अलावा, परियोजना में शामिल एक ठेकेदार को भी गिरफ्तार किया गया है। इस घटना से एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी है, जिसकी विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की है और विरोध प्रदर्शन किया है। शिंदे ने कहा कि प्रतिमा को भारतीय नौसेना ने डिजाइन और निर्माण किया था।
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने मूर्तिकार पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से करीबी संबंध होने का आरोप लगाया, जबकि राज्य के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि मूर्तिकार कांग्रेस नेता राहुल गांधी के करीबी थे। विपक्षी दलों ने इस घटना को छत्रपति शिवाजी महाराज की "विरासत का अपमान" बताया है और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से माफी की मांग की है।
अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने भी प्रतिमा गिरने की जवाबदेही की मांग को लेकर गुरुवार को पुणे और पश्चिमी महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में मौन विरोध प्रदर्शन किया। इस बीच, भारतीय नौसेना ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि उसने राज्य सरकार के साथ समन्वय में स्थापना परियोजना की संकल्पना और देखरेख की थी, जिसने इस प्रयास के लिए धन उपलब्ध कराया था।