अजमेर रेप और ब्लैकमेलिंग कांड एक खुला घाव, जानें मामले की हर छोटी-बड़ी बात

1992 में अजमेर में हुए सेक्स स्कैंडल ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, जिसमें 100 से अधिक लड़कियों का यौन शोषण हुआ। 32 साल बाद, 6 आरोपियों को पॉक्सो कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।

अजमेर सेक्स स्कैंडल 1992: अजमेर के लिए 1992 की शुरुआत एक काली रात की तरह साबित हुई, जब फरवरी-मार्च के महीने में लोगों को पता चला कि उनके शहर में लड़कियों की इज्जत लुटी जा रही है। जी हां यहां बात हो रही भारत के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल की, जिसके खुलासे ने पूरे देश की नींद उड़ा कर रखी दी थी। कांड के बारे में जब लोगों को मालूम पड़ा तो उन्हें अपनी कानों पर यकीन ही नहीं हुआ कि ऐसा भी कुछ हो सकता है, जिसमें एक-दो नहीं बल्कि पूरे 100 लड़कियों की आबरू के साथ खेला गया है।

हालांकि, जिस्म के भूखे दरिंदों ने इसकी शुरुआत 1990 में ही कर दी थी। ये एक खुले घाव की तरह है, जिसकी टिश पीड़ितों को हमेशा याद रहेगी। हाल ही में 20 अगस्त को मामले के 32 साल गुजर जाने के बाद सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में पॉक्सो कोर्ट ने 6 आरोपियों को उम्र कैद की  सजा सुनाई है। हर एक पर 5 लाख का जुर्माना भी ठोका गया है। दोषियों के नाम इस प्रकार है। नसीम उर्फ टार्जन,सलीम चिश्ती,सोहिल गनी, इकबाल भाटी, नफीस चिश्ती और सैयद जमीर हुसैन।

Latest Videos

अजमेर रेप कांड की ऐसी हुई शुरुआत

मामले में आरोपियों ने शहर के एक बिजनेसमैन के बेटे से सबसे पहले दोस्ती की। उसके साथ भी गलत काम करने से बाज नहीं आए। गंदी तस्वीरें उतारी और लड़के को ब्लैकमेल करने लगे। दबाव बनाने लगे की वो अपनी महिला दोस्तों को भी उनके पास लेकर आए। मजबूरी में पीड़ित को ऐसा करना पड़ा। इसके बाद शुरू हुआ घिनौना खेल। इंसान के भेष में हैवान बनकर घूमने वाले लोगों ने लड़कियों को अलग-अलग ठिकानों पर बुलाकर उसके साथ रेप करते। उन्होंने हद तब कर दी, जब वो युवतियों को फार्म हाउस पर ले जाने के लिए उनके स्कूल और कॉलेज के बाहर फिएट कार खड़ी करना स्टार्ट कर दिया।

आरोपियों का खादिम परिवार के लोगों से था संबंध

पुलिस ने फरवरी-मार्च 1992 में मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया। तस्वीरें अप्रैल में जाकर साफ हुई। तब एक बहुत बड़ा खुलासा हुआ, जिसमें पता चला की स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाली सैकड़ों हिंदू छात्राओं को ही टारगेट किया जा रहा है। उनको ब्लैकमेलिंग के दम पर गंदे काम करना शामिल था। इनमें जिन लोगों का नाम निकलकर सामने आया उनका संबंध अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के खादिम परिवार से था। उन्होंने मामले को दबाने के लिए पीड़ितों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। गवाहों को धमकाने लगे। इस वजह से कईयों ने शहर छोड़ दिया। आत्महत्या कर ली। इसके अलावा एक अखबार के संपादक का भी मर्डर कर दिया दया, जिसके बाद मामला 30 मई 1992 को CB-CID को सौंप दिया गया।

ये भी पढ़ें: बदले की कहानी: बचपन में रेप लेकिन दादी-नानी बनने तक रेपिस्ट के पीछे पड़ी रहीं

Share this article
click me!

Latest Videos

Devendra Fadnavis के लिए आया नया सिरदर्द! अब यहां भिड़ गए Eknath Shinde और Ajit Pawar
कड़ाके की ठंड के बीच शिमला में बर्फबारी, झूमने को मजबूर हो गए सैलानी #Shorts
पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News
राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
Delhi Election 2025 से पहले Kejriwal ने दिया BJP की साजिश का एक और सबूत #Shorts