
उदयपुर. महाराणा प्रताप के किस हम सब ने सुनी और पढ़ें हैं। किस तरह से उन्होंने घास की रोटी खाकर समय गुजरा और दुश्मनों के दांत खट्टे किए । लेकिन उनके जाने के बाद जो प्रॉपर्टी बची वह दिन दूनी और रात चौगुनी तरीके से पढ़ती चली गई । वर्तमान में इस प्रॉपर्टी की कीमत इतनी है जिसके लिए लड़ाई सड़कों तक आ पहुंची है और राजस्थान की सरकार को दखल देना पड़ा है । प्रॉपर्टी की लड़ाई महाराणा प्रताप के 75वें और 76वें वंशजों के बीच में चल रही है।
दरअसल महाराणा प्रताप के 75वें वंशज महेंद्र सिंह मेवाडा और उनके भाई अरविंद सिंह मेवाडा के बीच में संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था। इस दौरान महेंद्र सिंह मेवाडा का कुछ दिन पहले निधन हो गया। दोनों के एक-एक बेटे हैं । अब यह विवाद बेटों में शुरू हो गया है ।
विवाद का मूल कारण 60000 करोड़ की तीन बड़ी संपत्ति है । जिनमें एकलिंग नाथ जी का मंदिर , उदयपुर का सिटी पैलेस और समोर बाग की प्रॉपर्टी शामिल है। इसके अलावा भी अन्य कई संपत्तियां है जो विवाद का मुख्य कारण है। दोनों भाइयों के विवाद में उनकी बहन योगेश्वरी देवी भी शामिल है ।
महेंद्र सिंह मेवाडा अपने बेटे विश्वराज सिंह के साथ समोर बाग स्थित हवेली में रह रहे थे। अब उनका देहांत हो गया तो उनकी गद्दी पर उनके बेटे विश्वराज सिंह को बिठाया गया है। गादी के नियम के अनुसार जो भी युवराज गादी पर बैठता है , उसे एकलिंग नाथ जी के मंदिर में दर्शन करने होते हैं , साथ ही सिटी पैलेस में स्थित धूणी पर जाकर पूजा करनी होती है। लेकिन इन दोनों ही जगह पर विश्व राज सिंह को एंट्री नहीं दी गई और इसी कारण से विवाद शुरू हो गया है , जो कल रात से जारी है। उदयपुर जिले के कलेक्टर और एसपी अपनी-अपनी टीम के साथ मौजूद हैं और कई सारी संपत्तियों को सरकार दखल देने की तैयारी कर रही है ।
चाचा-भतीजे का महल का विवाद सड़क पत पहुंचा
वर्तमान में चाचा ने अपने भतीजे को संपत्तियों में नहीं घुसने दिया है । महेंद्र सिंह मेवाडा, अरविंद सिंह मेवाडा और योगेश्वरी देवी तीनों बहन भाई के बीच में करीब 40 साल तक कोर्ट में कैसे चला था। उसके बाद कोर्ट ने इस मामले में निर्णय लिया था और तीनों को नियमानुसार संपत्ति का मालिक बनाया था लेकिन अब यह लड़ाई फिर से सड़क पर आ गई है।
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