राजस्थान में एंबुलेंस कर्मचारी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं। कर्मचारी प्रदेश सरकार के खिलाफ मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं। इससे मरीजों को परेशानी हो रही है।
जयपुर। राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। सरकार की ओर से चलने वाली 108 और 104 एंबुलेंस के पहिए थम गए हैं और हजारों एंबुलेंस चालक और कर्मचारी धरने पर बैठ गए हैं। उन्होंने हड़ताल कर दी है और अब मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री ने अभी मिलने का समय नहीं दिया है। एंबुलेंस का चक्का जाम होने के कारण इमरजेंसी सेवाएं बाधित हो रही हैं। सरकारी एंबुलेंस सेवा का चक्का जाम हो जाने के कारण लाखों मरीज और उनके परिजन परेशान हैं।
ठेका प्रणाली खत्म करने समेत कई मांगों को लेकर धरना
राजस्थान एंबुलेंस कर्मचारी संघर्ष समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि पिछले दो-तीन दिन से सरकार से बात करने की कोशिश कर रहे हैं , लेकिन सरकार हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है । मजबूरी में अब हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ रहा है। शेखावत ने कहा कि हमारी कुछ महत्वपूर्ण मांगे हैं जिनमें सबसे बड़ी मांग ठेका प्रणाली खत्म करने की है। उसके बाद सरकार एंबुलेंस व्यवस्था को अपने अधीन ले और एंबुलेंस पर काम करने वाले कर्मचारियों को संविदा पर लगाए और उनकी सैलरी भी बढ़ाएं।
एक साल से दिया जा रहा आश्वासन
शेखावत ने कहा कि पिछले 1 साल से हम लोग कई बार हड़ताल पर जा चुके हैं। हर बार सरकार के प्रतिनिधियों से यही आश्वासन मिलता है कि जल्द ही सरकार इसमें सकारात्मक फैसला लेगी जिससे एंबुलेंस के चालक और कर्मचारियों को फायदा हो सके। सरकार के आश्वासन के बाद भी अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
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मेडिकल कॉलेज के बाहर खड़ी कर दी गई एंबुलेंस
शेखावत ने कहा कि पिछले 1 महीने में हर जिले के 108 और 104 एंबुलेंस कर्मचारी ने कलेक्टर और लोकल प्रशासन को ज्ञापन दिए हैं। लेकिन इन ज्ञापन का भी कोई असर सरकार पर नहीं हुआ है। सरकार के इस रवैया से परेशान होकर अब हड़ताल ही हमारे सामने रास्ता है। ऐसे में हर जिले में सरकारी मेडिकल कॉलेज के बाहर 104 और 108 एंबुलेंस खड़ी कर दी गई है।
108 एंबुलेंस सेवा गर्भवती महिलाओं के लिए है
राजस्थान सरकार मरीजों की सेवा के लिए 108 और 104 एंबुलेंस चलती है। 108 एंबुलेंस में गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाया जाता है और 104 एंबुलेंस में सड़क दुर्घटना या अन्य दुर्घटना में घायल होने के बाद मरीज का अस्पताल पहुंचाया जाता है।